सोमवार, 6 अप्रैल 2020

  कहीं दीप जले, कहीं दिल 
वाली मनोवृत्ति से ऊपर उठिए !
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इस देश के अनेक लोगों के लिए कोरोना वायरस से 
अधिक बड़ी विपत्ति नरेंद्र मोदी है।
जनता कफ्र्यू, लाॅकडाउन और दीया ज्वलन कार्यक्रमों की सफलता के बाद अनेक लोग जल -भुन गए हैं।
  साथ ही, लगता है कि यह बात भी अनेक लोगों को  सालती रही कि कोरोना का प्रतिकूल असर भारत पर अन्य अनेक विकसित देशों की अपेक्षा कम पड़ा।
  पर, मोदी विरोधियो, मोदी तो आपके ही कारण आया है।
यदि चाहिएगा तो आपके ही कारण चला भी जाएगा।
पर उसके लिए आपको अपनी कार्यनीति बदलनी पड़ेगी।
हालंाकि ऐसी उम्मीद तो नहीं है कि आपकी कार्य नीति बदलेगी।कोई संकेत भी नहीं है।
पर कोशिश कर के देखिए ! देश के लिए सही रहेगा।
 आम लोगों के लिए मोदी का अभी कोई विकल्प दूर -दूर तक नजर नहीं आता।
  आप उसे नीच, गंवार और न जाने क्या -क्या कहते रहिए।
कोई फर्क नहीं पड़ता।
बल्कि उन उक्तियों से उसके प्रति लोगों कीे सहानुभूति ही बढ़ती है।
अब यह जानिए कि आपके कारण कैसे मोदी आया।
  दरअसल मतदाता  भ्रष्टाचार-महा घोटालों आदि से ऊब गए थे।
 भ्रष्टाचार के कोढ़ में मुस्लिम तुष्टिकरण की खाज ने मोदी को केंद्र की सत्ता में ला दिया।
ए.के.एंटोनी ने भी सन 2014 में अपनी रिपोर्ट 
में यही कहा था।
 2014 के लोक सभा चुनाव के बाद सोनिया गांधी ने एंटोनी से कहा था कि आप चुनाव में कांग्रेस की हार के कारणों  पर रपट बनाइए।
  एंटोनी ने रपट बनाई।
 सोनिया जी को दे दी।
उसमें अन्य कारणों के साथ- साथ यह भी लिखा गया था कि मतदाताओं को, हमारी पार्टी अल्पसंख्यक की तरफ झुकी हुई लगी जिसका हमें नुकसान हुआ।
पर कांग्रेस हाईकमान ने एंटोनी की इस बात को नजरअंदाज कर दिया।
यह बात कुछ अन्य दलों पर भी लागू होती है।
 एंटोनी ने जो बातें नहीं कही,महा घोटाले व वंशवाद वाली बातें ,वह सब भी मतदाता जानते ही थे।
आम मुसलमानों के लिए कांग्रेस ने जरुरी कल्याणकारी काम किए होते तो किसी को एतराज नहीं था।
पर वह और अन्य अनेक मोदी विरोधी दल व बुद्धिजीवी तो लगातार उनके बचाव व समर्थन में लगे रहे जो मुसलमानों के बीच के अतिवादी हैं।आज भी वही हो रहा है।
  अब आखिर जले भुने लोगों को राहत कैसे मिलेगी ?
मैं उपाय बताता हूं।
मोदी विरोधी लोग ऐसी कोशिश करें ताकि मतदातागण आपको मोदी जमात की अपेक्षा कम भ्रष्ट मानने लगें।
साथ ही, आप अतिवादियों से दोस्ती छोड़कर देश को जेहादी खतरों से बचाने की कोशिश में लग जाएं।
इन खतरों से जूझने की यदि एकमात्र जिम्मेदारी मोदी जमात की ही रहेगी तो वोट भी उसी को मिलेंगे।
  स्वतंत्र भारत का चुनावी इतिहास बताता है कि मतदाता  हर बार बदतर को छोड़ कर बेहतर को
सत्ता में पहुंचा देते हैं।
अपवादों की बात और है।
‘बेस्ट’ यानी 24 कैरेट का सोना तो कोई 
है नहीं- न मैं ,न आप, न कोई दल।
इसलिए कहीं दीप जले, कहीं दिल वाली मनोवृत्ति छोड़िए
और देश के प्रति सकारात्मक सोच में डूब जाइए।
शायद आपके लिए कोई राह निकल जाए।
प्रतिपक्ष मजबूत रहेगा तो लोकतंत्र भी पटरी पर रहेगा।
  --- सुरेंद्र किशोर-6 अप्रैल 2020

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