लाॅक डाउन लगाने से लोगों को अधिक परेशानी होगी या नहीं लगाने से अपेक्षाकृत ज्यादा जन हानि होगी ?
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बिहार सरकार उसका आकलन करे
फिर कदम उठाए
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तैयारी के बाद कम से कम 8-10 दिनों का
लाॅक डाउन जरूरी
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रोज-रोज के इस्तेमाल के जरूरी सामान जुटा लेने की लोगों को दो -तीन दिनों की बिहार सरकार पहले मुहलत दे दे।
फिर सरकार राज्य में कम से कम आठ या दस दिनों का लाॅक डाउन करे।
लाॅक डाउन में भी बाहर निकलने के लिए ‘पास’ देने में इस बार उदारता दिखाए।
इन दो -तीन दिनों में कमजोर वर्ग के वैसे लोगों के घरों में शासन अनाज पहुंचा दे जिनके समक्ष रोज कमाओ रोज खाओ वाली मजबबूरी रहती है।
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बिहार सरकार मान रही है कि पिछली बार की अपेक्षा इस बार कोरोना की तीव्रता-व्यापकता काफी अधिक है।
फिर गत साल जैसी लाॅकडाउन वाली कड़ाई क्यों नहीं ?
संकेत तो यही हैं कि लाॅक डाउन के बिना लोग पाबंदियां मानने वाले हैं नहीं।
फिर राज्य सरकार सोच ले-
लाॅक डाउन के बिना जितनी जानें जाएंगी,उसके लिए कुछ निहितस्वार्थी लोग आम लोगों को शासन के खिलाफ कितना भड़काएंगे ?
जनता कितना भड़केगी ?
लाॅक डाउन के बाद कुछ लोगों को जितनी परेशानी होगी,क्या वह पहले की स्थिति में हुई परेशानी से कम होगी ?
राज्य सरकार तुलना करे और अपेक्षाकृत कम नुकसानदेह स्थिति के लिए कदम उठाए।
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---सुरेंद्र किशोर
18 अप्रैल, 21
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