शिक्षक नेता व बिहार विधान परिषद के पूर्व सभापति प्रो.अरुण कुमार नहीं रहे।
कांग्रेस नेता अरुण बाबू शालीनता की प्रतिमूत्र्ति थे।
अन्य दलों के नेता लोग भी उनका सम्मान करते थे।
विधान परिषद स्थित उनके आॅफिस में अक्सर मैं उनसे मिला करता था।
उनकी दो बातें मुझे अब भी याद आती हैं।
वे कहा करते थे कि दूरदर्शन ही इस देश का प्रतिनिधि चैनल है।
उनकी दूसरी बात लीक से हट कर थी।
विधान परिषद की सदस्यता के आखिरी दौर में उनके दल यानी कांग्रेस के कई नेताओं को यह लगता था कि अगली बार वे चुनाव हार जाएंगे।क्योंकि दूसरे दल अपेक्षाकृत मजबूत हो चुके थे।इसलिए वे अपने लिए दूसरे दल में जगह खोज रहे थे।
एक चर्चित कांग्रेसी नेता मेरे सामने अरुण बाबू से कह रहे थे कि आप फलां दल में शामिल हो जाइए।
वे खुद उस दल मंे जा रहे थे या जा चुके थे।
इस पर अरुण बाबू ने उनसे कहा कि मैं चुनाव हारूं या जीतूं,किंतु मैं कांग्रेस नहीं छोड़ूंगा।
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---सुरेंद्र किशोर
15 अप्रैल 21
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