इहलोक-परलोक वासियों से
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वे लोग अब तो थोड़ा अफसोस कर लें !
जिन्होंने आजादी के बाद
से ही अब तक भ्रष्ट-लुटेरे नेताओं - अफसरों - अन्य संबंधित लोगों को समर्थन दिया, ताकत दी और उनका बचाव किया।
दल,जाति, विचारधारा तथा कुछ अन्य आधार पर लोकतंत्र के लुटेरों को ताकत नहीं मिली होती तो आज अपना देश थोड़ा बेहतर होता।
गंभीर मरीज कम से कम आॅक्सीजन के बिना तो नहीं मरते।
जो अपार सार्वजनिक धन लूट में चले गए,वे यदि बचते तो बेहतर मेडिकल तथा अन्य संरचनाओं पर खर्च हुए होते।
हालांकि लोकतंत्र के सारे संचालक लुटेरे ही नहीं थे।न ही आज सारे वैसे हैं।
पर अच्छे लोगों की कम ही चलती रही है।
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--सुरेंद्र किशोर
16 अप्रैल 21
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