सोमवार, 26 अप्रैल 2021

   पक्ष-विपक्ष के जिन नेताओं ने आजादी के बाद से ही इस देश के संसाधनों को चूस-चूस कर अपने व अपने लगुए-भगुए के घर भरे हैं,आज भी भर रहे हैं ,वे ही इस बात के लिए जवाबदेह हैं कि बेड और आॅक्सीजन के बिना इतनी बड़ी संख्या में मरीज आज तड़प -तड़प कर क्यों मर रहे हैं ?

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सच तो यह है कि कोरोना वैश्विक महामारी से सफलतापूर्वक मुकाबला करने में तो अमीर देश भी असमर्थ हैं।

पर, अपने देश में आजादी के बाद से ही भीषण भ्रष्टाचार नहीं जम गया होता तो हम आज की अपेक्षा थोड़ा बेहतर ढंग से कोरोना महामारी का मुकाबला कर सकते थे,भले पूरी तरह से फिर भी नहीं।क्योंकि इसकी विकरालता की कल्पना किसी को कभी नहीं रही है।

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   --सुरेंद्र किशोर-

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महाराष्ट्र के पूर्व गृह मंत्री अनिल देशमुख के खिलाफ सी.बी.आई.ने प्राथमिकी दर्ज कर ली है।

याद करिए ये वही गृह मंत्री हैं जिन्होंने हर महीने 100 करोड़ रुपए की ‘उगाही’ का लक्ष्य मुम्बई के एक कनीय पुलिस अफसर को सौंपा था।

  अपेक्षा के अनुसार ही चर्चित शिवसेना नेता व राज्य सभा सदस्य संजय राउत ने कहा कि 

‘‘यह सी.बी.आई.का एजेंडा है।’’

 यदि मान भी लिया जाए कि यह सी.बी.आई.का एजेंडा है तो गैर बेईमान लोग इसे सकारात्मक एजेंडा ही मान रहे हैं।

संजय जी,

आपका एजेंडा तो नकारात्मक लगता है।

यूं कहें कि भ्रष्टाचार के साथ सहयोगात्मक है।

यानी ‘तुम भी लूटो, हम भी लूटें,लूटने की आजादी है,सबसे ज्यादा वही लूटे,जिसके तन पर खाकी-खादी है।’’

 सहयोग ऐसा कि दोनों राजनीतिक पक्षों में से कोई भी एक दूसरे को डिस्टर्ब न करे।

     देश के संकट का यही सबसे बड़ा कारण रहा है।

एक गैरकांग्रेसी प्रधान मंत्री तो कहा करते थे कि 

‘‘फस्र्ट फेमिली’’ को टच नहीं करना है।’’

  उनके कार्यकाल के पहले से भी यही अघोषित परंपरा चलती रही थी।

फस्र्ट फेमिली कौन है,इसका अनुमान आप लगा लीजिए ।

  पर, आज के प्रधान मंत्री ने इस परंपरा को तोड़ दिया है।

इसे क्या कहा जाए ?

अच्छा या बुरा ?

यदि आज के प्रधान मंत्री के खिलाफ भी किसी को कोई शिकायत है तो कानूनी रास्ता खुला है, कोर्ट जाइए उसके खिलाफ।

डा.सुब्रह्मण्यम स्वामी ने अपने प्रयास से रास्ता खोलने का यह आदेश सुप्रीम कोर्ट से जारी करवा ही दिया है कि भ्रष्टाचार के खिलाफ कोई भी नागरिक कितनी भी बड़ी हस्ती के खिलाफ कोर्ट में जा सकता है।

खुद स्वामी इस आदेश का लाभ उठाते रहे हैं।  

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कुछ महीने पहले राज्य सभा सदस्य संजय राउत की पत्नी पर पैसों को लेकर कुछ आरोप लगे थे।

अन्य अनेक नेताओं की तरह राउत ने भी कहा कि जिस तरह का आरोप मेरी पत्नी पर लगा है,उसी तरह का आरोप भाजपा के सौ नेताओं पर भी है।

पर, कार्रवाई नहीं हो रही है।

   यदि कार्रवाई नहीं हो रही है तो संजय राउत जी आप उनके खिलाफ अदालत क्यों नहीं गये ?

डा.स्वामी ने तो अदालत जा -जाकर जयललिता और न जाने कितने बड़े-बड़े नेताओं के खिलाफ कानूनी कार्रवाई शुरू करवाई है।

   पर,संजय राउत अदालत नहीं जाएंगे।

  वे तो यही चाहेंगे कि तुम सत्ता में हो तो हमें बचाओ।हम सत्ता में आएंगे तो हम तुम्हें बचाएंगे।

  इसी तरह एक दूसरे को बचते -बचाते हुए इस देश के विभिन्न दलों के अधिकतर नेताओं ने सत्ता के भीतर व बाहर रहकर इस देश के साधनों को अपने घरों को भरने के लिए इतना चूसा है कि आज अस्पतालों में बेड व आॅक्सीजन के बिना लोग तड़प-तड़त कर मर रहे हैं।

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1985 तक भ्रष्टाचार के मामले में इस देश की स्थिति यह बन चुकी थी कि सौ सरकारी पैसों को हमारे सत्ताधारियों ने घिस कर पंद्रह पैसा बना दिया था।

तब तक इस देश के प्रधान मंत्री कौन -कौन थे ?

याद है न !

  भ्रष्टाचार का ‘‘रावणी अमृत कुंड’’ आज सांसद फंड बन चुका है जिसमें से अधिकतर सांसद(सब नहीं) खुलेआम नजराना-शुकराना ले रहे हैं । 

इसके साथ ही वे छोटे -बड़े सरकारी अफसरों को यही काम दूसरे महकमों में भी करने के लिए हरी झंडी भी दे रहे हैं।

हालांकि वहां भी सब अफसर एक ही तरह के नहीं हैं।

हां,एक बात में लगातारता है।

आज तक कोई प्रधान मंत्री सांसद फंड खत्म नहीं कर सका।

 खत्म करने की हिम्मत नहीं हुई।

नरेंद्र मोदी जैसे ईमानदार नेता को भी खत्म करने की हिम्मत नहीं हो रही है।

यह अधिक चिंताजनक स्थिति है। 

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और अंत में

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एक बार बिहार के मुख्य मंत्री डा.जगन्नाथ मिश्र ने प्रतिपक्ष के नेता कर्पूरी ठाकुर पर भ्रष्टाचार का आरोप लगाया।

जाहिर है कि आरोप झूठा था।

उस पर कर्पूरी ठाकुर ने बारी -बारी से कई बार मुख्य मंत्री से मांग की कि वे इस मुझ पर लगाए आरोप की जांच कराएं।

पर डा.मिश्र ने जांच नहीं करवाई।

उस पर एक दिन विधान सभा में कर्पूरी जी ने कहा कि आप मेरे खिलाफ जांच इसलिए नहीं करवा रहे हैं क्योंकि आपको डर है कि आपके खिलाफ भी जांच होने लगेगी।

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