रविवार, 18 जनवरी 2009

हत्या नहीं होती तो राष्ट्रपति बन सकते थे मार्टिन लूथर किंग


चार अप्रैल 1968 की शाम पांच बजे जाॅन बिलार्ड अपने कमरे के बाहर आया। कुछ देर बाद नीले रंग के कैन्वस के थैले के साथ वापस लौटा।इस थैले के अलावा उसके पास टेलीस्कोपिक लेंस लगी रेमिंगटन पम्प एक्शन राइफल भी थी। वह बाथ रूम में गया जो उसके कमरे के 15 फीट नीचे था। बाथ रूम में आकर उसने उसका का दरवाजा बंद कर लिया।बाथ रूम की खिड़की से डा.मार्टिन लूथर किंग का कमरा एकदम सामने पड़ता था।वह कमरा कुल 105 फीट की दूरी पर था। खिड़की के पीछे बैठ कर वह डा.किंग के अपने कमरे की बाल्कनी में आने की प्रतीक्षा करने लगा। जब छह बजने में तीन मिनट शेष थे तब डा.किंग अपने कमरे की बाल्कनी पर आए।बिलार्ड उर्फ जेम्स रे ने अपनी राइफल संभाली। ठीक छह बज कर एक मिनट पर उसने डा.किंग को निशाना बना कर गोली चला दी।डा.किंग गोली लगते ही घायल होकर जमीन पर गिर पड़े।एक दिन पहले ही उन्होंने अपने साथियों से कहा था कि वे इन अफवाहों से भयभीत नहीं हैं कि मेक्फिस में उनकी हत्या के प्रयत्न किए जाएंगे।उन्होंने कहा था,‘मैं भले ही मर जाउं , पर मेरा अहिंसापूर्ण आंदोलन अमर है।’ इस कांड को अंजाम देने के बाद जेम्स फरार हो गया।उसे पकड़ने के लिए अमेरिकी खुफिया पुलिस के 6600 जासूस लगा दिए गए थे। इस काम में ब्रिटेन,पुत्र्तगाल,कनाडा और मैक्सिको के जासूस भी अमेरिकी खुफिया दल को मदद कर रहे थे।इस खोज पर दो महीनों में 15 लाख डालर खर्च हुए। पर, वह हत्यारा 8 जून 1968 को पकड़ा गया एक हवाई अड्डे पर।एक पासपोर्ट अधिकारी की सतर्कता से। जार्ज स्नेड उर्फ जेम्स रे उर्फ बिलार्ड और न जाने और क्या -क्या नाम था उसका ! हालांकि उस हत्यारे के पिता ने कहा था कि ‘किंग का हत्यारा कोई और था।असली हत्यारे की मृत्यु हो चुकी है । शायद किसी ने उसे पैसे देकर हत्या कराई होगी और बाद में उसकी भी हत्या कर दी गई होगी।इसी तरह जाॅन एफ. कैनेडी की हत्या ओसवाल्ड ने नहीं की थी।इधर कुछ दिनों से यह डर बढ़ता जा रहा था कि मार्टिन लूथर किंग कहीं अमेरिका के राष्ट्रपति न हो जाएं।इस लिए उनके किसी राजनीतिक विरोधी ने संभव है कि पैसे देकर उनकी हत्या करवा दी हो।पर उनके राष्ट्रपति बन जाने से मुझे कोई फर्क नहीं पड़ने वाला था।’ हालांकि जेम्स रे के इस जघन्य कारनामे के पीछे एक तर्क यह भी दिया गया कि रे के पुराने घर को एक नीग्रो परिवार ने खरीद लिया था।रे इस बात से काफी नाराज था।उसे इस खरीदारी के बाद सारी नीग्रो जाति से घृणा हो गई।उसके एक दोस्त राइफ ने बाद में बताया था कि इस के बाद वह अक्सर नीग्रो लोगों की बुराई करते हुए कहता था कि ‘ अमेरिका में रहने वाले सब काले लेागों को अफ्रीका भेज देना चाहिए।इन काले लोगों को तो हमारे देश में सांस लेने का भी अधिकार नहीं है। ’ दरअसल जेम्स रे अपने जीवन के आरंभिक दिनों से ही अपराधिक प्रवृत्ति का था।वह जन्मजात अपराधी था।गरीब परिवार में जन्मे जेम्स ने यह तय कर लिया था कि चोरी करके एक ही बार में इतना धन कमाया जा सकता है उतना वर्षों नौकरी करके या व्यापार धंधे में मगज खपाने से भी नहीं मिल सकता है। किंग की हत्या के बाद अमेरिका के कई शहरों में दंगे हुए।पर दंगे में अधिक अश्वेत ही मारे गए क्योंकि उनके पास हथियार अपेक्षाकृत कम थे।पर जहां तहां शांति मार्च भी निकले जिनमें दोनों समुदायों के लोग शामिल हुए।शांति जुलूसों और प्रार्थना सभाओं में कहीं झगड़े नहीं हुए। न्यूयार्क में 25 हजार लोगों ने ‘ सद्भावना के लिए जुलूस ’ निकाला।अमेरिकी राष्ट्रपति जानसन ने अपने संदेश में कहा था कि ‘इस दुःखद हत्या से सभी अमेरिकी शायद यह सीख सकें कि केवल मिलजुल कर काम करके ही हम समानता हासिल कर सकते हैं तथा जातीय पक्षपात से उत्पन्न समस्याओं पर भी एकता कायम रख कर ही विजय पाई जा सकती है।’आज जब ओबामा अमेरिका के निर्वाचित राष्ट्रपति हैं तो इससे यह बात भी साबित हुई है कि एकता से न सिर्फ समस्याओं पर विजय पाया जा सकता है किंतु कभी अश्वेत के लिए असंभव दिखने वाले राष्ट्रपति पद पर भी असीन हुआ जा सकता है। यह बात भारत सहित पूरी दुनिया पर भी लागू होती है।याद रहे कि मार्टिन लूथर किंग की हत्या के तत्काल बाद ही अमेरिकी सरकार ने न सिर्फ नीग्रो जाति के पक्ष में आवास संबंधी विधेयक जल्दी ही पारित करा दिया बल्कि सफाई कर्मचारियों की अधिकतर मांगंे भी पूरी कर दी गईं।किंग इन मंागों को लेकर अभियान चला रहे थे। प्रभात खबर (19-12-2008)

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