इस देश के कुछ वोटबाज नेताओं के बीच इस बात को लेकर सार्वजनिक तौर पर अब भी बहस जारी है कि सिमी एक निर्दोष संगठन है या राष्ट्रद्रोही । पर, दूसरी ओर इसी देश की पुलिस ने एकजुट होकर काफी मेहनत से यह खोज निकाला है कि इस देश के कई नगरों में हाल में जो बम विस्फोट हुए हैं, उनमें सिमी के लोग शामिल थे। हालांकि इस खोज में अग्रणी भूमिका गुजरात पुलिस ने निभाई क्योंकि उनके राज्य में ही हाल में सर्वाधिक राष्ट्रद्रोही घटनाएं हुई,पर इस काम में देश के अन्य राज्यों की पुलिस ने भी पेशेवर तरीके से व्यवहार करते हुए गुजरात पुलिस की मदद की।उन राज्यों में वे राज्य भी शामिल हैं जहां भाजपा या एन।डी.ए.की सरकार नहीं है।यहां तक कि केंद्र सरकार की खुफिया एजेंसियों ने भी गुजरात पुलिस को इस खोज बीन में भरपूर सहयोग दिया। यानी, चूंंकि पुलिस को किसी से वोट नहीं लेना होता है, इसलिए वे देशहित को ध्यान में रख कर अपना काम कर रही है। भले पुलिस पर जहां तहां आम जनता पर जुल्म करने व रिश्वतखोरी में लिप्त होने का आरोप लगें ,पर देशहित के मामले में वे इस देश के कई बड़े नेताओं से बेहतर साबित हुए हैं।क्या जयचंदी मानसिकता वाले वैसे नेताओं को अब भी शर्म आएगी ? सिमी के नेता खुद सार्वजनिक रूप से इस देश को बर्बाद करने का एलान करते रहे हैं। पर, हमारे देश के कुछ तथाकथित सेक्यूलर नेता उन्हें निर्दोष घोषित करते -फिरते हैं। 30 सितंबर ,2001 के टाइम्स आफ इंडिया में अहमदाबाद में सिमी के जोनल सेक्रेर्टी साजिद मंसूरी का बयान छपा था।मंसूरी ने कहा था कि ‘जहां भी हम सत्ता में आएंगे,हमलोग मंदिरों को नष्ट कर देंगे और वहां मस्जिद बनाएंगे।’उसी अखबार से बातचीत मेंं सिमी के बिहार जोन के सचिव रियाजुल मुसाहिल ने कहा था कि ‘अगर भारतीय संविधान का कुरान से टकराव होता है तो हम संविधान को नहीं मानेंगे।’ सिमी अपने लिटरेचर में लिखता है कि उसे एक और गजनी का इंतजार है।वह इस देश में खलीफा का शासन स्थापित करना चाहता है।
कहां हैं एक लाख बंगला देशी ?
यह किसी का अनुमान नहीं बल्कि एक जिम्मेदार पुलिस अफसर का बयान है। मेघालय पुलिस के ए।डी.जी. कुलवीर कृष्णा ने हाल में यह रहस्योद्घाटन किया है कि बंगला देश से आए करीब एक लाख नागरिक भारत में आकर गुम हो गए हैं। उन लोगों ने वैध पासपोर्ट व वीसा के सहारे भारत में प्रवेश किया था,पर अब उनका कोई अता -पता नहीं हैं। हाल में गुवहाटी हाई कोर्ट के एक निर्णय से एक और सनसनीखेज खुलासा हुआ है।पता चला है कि सन् 1996 के असम विधान सभा चुनाव में एक पाकिस्तानी नागरिक मोहम्मद कमरूद्दीन ने जमुना मुख क्षेत्र से असम विधान सभा का चुनाव भी लड़ा।हाई कोर्ट ने बंगला देशी घुसपैठियों की समस्या की चर्चा करते हुए अपने जजमेंट में कहा कि ऐसा सिर्फ असम में ही संभव है।कमरूद्दीन के पास पाकिस्तानी पासपोर्ट था।वह पहले पाकिस्तान से बंगला देश आया और फिर अवैध तरीके से असम में घुस गया। ये एक लाख लोग उन लोगों के अलावा है जो अवैध तरीके से भारत में प्रवेश करते रहते हैं।याद रहे कि इन एक लाख गुम बंगलादेशियों को लेकर उन नेताओं ने अब तक कोई चिंता नहीं व्यक्त की है जो वोट बैंक के सौदागर हैं और सिमी पर प्रतिबंध का विरोध करते हैं।यह सब अपने ही देश में संभव है।आए दिन यह खबर आती रहती है कि भारत में जो बम विस्फोट हो रहे हैं,उनमें हुजी का हाथ है।खुफिया एजेंसियां बताती हैं कि पाकिस्तानी खुफिया एजेंसी आई.एस.आई.,बंगला देशी खुफिया एजेंसी डी.जी.एफ.आई.और सिमी सब आपस में मिले हुए हंै।उनका उद्देश्य है कि भारत में एक हजार ‘घाव’ करना है।हजार घाव का नारा एक पाकिस्तानी नेता ने तब दिया था जब बंगला देश की मुक्ति वाहिनी को भारत ने मदद की थी और बंगला देश बना था।
अवैध घुसपैठ की समस्या
सन् 1971 में जब तत्कालीन पूर्वी पाकिस्तान में पाकिस्तानी सेना का जुल्म जारी था तो वहां से करीब एक करोड़ शरणार्थी भाग कर भारत आ पहुंचे थे।तत्कालीन बहादुर प्रधान मंत्री इंदिरा गांधी ने शेख मुजीबुर रहमान की मुक्ति वाहिनी को इसलिए भी मदद की थी ताकि एक करोड़ शरणार्थी वापस जा सकें। वे हमारी अर्थव्यवस्था पर बोझ बन गए थे। पर आज दो से तीन करोड़ बंगला देशी अवैध तरीके से भारत में घुसपैठ कर चुके हैं और उनका आना जारी है।इस काम में इस देश के सीमा सुरक्षा बल के भ्रष्ट जवान व अफसर भी घुसपैठियों की मदद करते हैं क्योंकि उसके बदले उन्हें रिश्वत मिलती है। यह मांग पुरानी है कि भारत-बंगला देश की पूरी सीमा पर मजबूत बाड़ लगा दिए जाएं।पर इस काम में इसी देश के कुछ तत्व बाधक रहे हैं। एक बार एक निजी चैनल पर इस समस्या पर चर्चा चल रही थी।उसमें इस देश के एक पूर्व विदेश सचिव भाग ले रहे थे।चर्चा में यह सुझाव आया कि बंगला देश सीमा पर मजबूत बाड़ लगा दिए जाने चाहिए। @अब तो नेपाल सीमा पर भी बाड़ लगाने की जरूरत पड़ेगी।@इस पर पूर्व विदेश सचिव ने कहा कि सीमा पर बाड़ लगाने से दुनिया भर में हमारे देश की छवि खराब होगी।इस पर संजय निरूपम ने कहा कि लगता ही नहीं है कि आप भारत के विदेश सचिव थे या बंगला देश के ? पूर्व विदेश सचिव महोदय की बोलती बंद हो गई।पर वे अकेले नहीं हैं जो ऐसा सोचते हैं।भारत से सटे बंगला देश की सीमा 272 किलो मीटर है।हाल में बाड़े लगे हैं।पर अब भी पूरी सीमा की घेरेबंदी नहीं हो पाई है। बी।एस.एफ.के जवानों व अफसरों पर भारत सरकार सख्त कार्रवाई क्यों नहीं करती जो थोड़े से पैसे लेकर बंगला देशियों को भारत में प्रवेश कराते जा रहेे हैं ?
अपने भोला बाबू !
बिहार के नगर विकास मंत्री डा।भोला सिंह प्रभावशाली वक्ता हैं और मिलनसार और समझदार भी। निजी बातचीत में भी वे प्रभावित करते हैं।पर, हाल में पता नहीं क्यों वे गच्चा खा गए। पटना में नागरिक सुविधाओं को लेकर पटना हाई कोर्ट की एक टिपपणी पर भोला बाबू नाहक उखड़ गए।उन्होंने हाईकोर्ट को ही नसीहत दे डाली। पटना हाई कोर्ट पर बोलते समय नगर विकास मंत्री को याद ही नहीं था कि कुछ ही दिन पहले उन्होंने नगर निगम के कुछ काहिल व भ्रष्ट कर्मचारियों के बारे में खुद उन्होंने क्या कहा था। भोला बाबू ने भारी जल जमाव से दुखी होकर कहा था कि ‘पटना के संप हाउस के आपरेटर से जब कहा जाता है कि संप चालू करोे, तो लगता है कि उसके घर में कोई मर गया है।जब तक संप हाउस पर मैं रहा, तब तक तो वह चला,पर मेरे वहां से हटते ही बंद कर दिया गया।’ जाहिर है कि डिजल की चोरी के लिए संप नहीं चलते और लोग जल जमाव से पीडि़त होते रहते हैं।ऐसे नगर निगम के कामांे का बचाव करते हुए हाई कोर्ट पर टिप्पणी कर देने से भोला बाबू की छवि प्रभावित हुई है।यह तो अच्छा हुआ कि मुख्य मंत्री ने हाईकोर्ट के बचाव में बयान दे दिया। उम्मीद है कि भोला बाबू अब सावधानी बरतेंगे।
तापमान (सितंबर, 2008)
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें