मुख्य चुनौती भ्रष्टाचार
मुख्य मंत्री नीतीश कुमार ने ठीक ही कहा है कि भ्रष्टाचार पर काबू पाना राज्य सरकार के सामने मुख्य चुनौती है। नीतीश कुमार इस पर काबू पाने की भरसक कोशिश तो कर रहे हैं किंतु भ्रष्टाचार के बदलते स्वरूप के कारण भी उन्हें कठिनाई हो रही है। इसका बदला हुआ एक स्वरूप यह भी है कि भ्रष्टाचार का करीब -करीब राज्य भर में आउटसोर्सिंग हो चुका है। अनेक मामलों में घूस के जो पैसे भ्रष्ट अधिकारी व कर्मचारी सीधे ले लेते थे, अब वे बिचैलियों के माध्यम से ले रहे हैं। नरेगा और इंदिरा आवास योजना में मची लूट ने ऐसे अनेक नए बिचैलिए भी पैदा कर दिए हैं। इस काम में लगे दलालों ने इस तरह स्वरोजगार ढ़ूंढ़ लिया है। इसे मजाक में गांवों में ‘स्वरोजगार योजना’ भी कहा जाता है। इंदिरा आवास योजना में प्रत्येक आवास निर्माण पर सरकार लाभुक को 25 हजार रुपए देती है। इस में से 5 हजार रुपए कमीशन में चले जाते हैं। ये 5 हजार रुपए दलाल, मुखिया, अफसर और बैंक कर्मी में बंट जाते हैं। इस तरह स्वरोजगारी की आय भी तय है।हर जगह इलाके के लोग जानते हैं कि ये ‘स्वरोजगारी’ कौन- कौन हैं।क्या उनकी खोज -खबर सरकार लेगी ?यह कैसी विसंगति !
बिहार सरकार ने राज्य के हाई स्कूलों के खुलने के पूर्व निर्धारित समय में हाल में परिवत्र्तन कर दिया। अब हाई स्कूल सुबह आठ बजे के बदले 10 बजे से खुल रहे हैं। पर, यही काम मध्य और प्राथमिक विद्यालयों के बारे में नहीं हुआ। छोटे बच्चे-बच्चियों वाले स्कूल इस भीषण ठंड में अब भी सुबह आठ बजे ही खुलते हैं। ऐसा क्यों हुआ ? यह बात समझ में नहीं आ रही है। क्या छोटे बच्चे-बच्चियों को कम ठंड लगती है और बड़े बच्चे -बच्चियों को अधिक ?मुस्कान के साथ शासन
मुस्कान के साथ शासन करने वाले मुख्य मंत्रियों शीला दीक्षित, शिवराज सिंह चैहान और डा।रमण सिंह को उसका भी चुनाव में लाभ मिला है। शीला दीक्षित के बारे में तो एक बात और मालूम हुई है। उनकी दिल्ली सरकार देश भर की 18 लघु पत्रिकाओं को प्रति अंक 20 से 30 हजार रुपए तक का विज्ञापन देती है। उनमें बिहार की भी एक साहित्यिक पत्रिका भी शामिल है। यानी, शीला दीक्षित ने इस तरह देश भर के साहित्यकारों व बुद्धिजीवियों के एक हिस्से की शुभ कामना भी हासिल कर ली है। और अंत में
एक पाकिस्तानी न्यूज चैनल ने मुम्बई हमला कांड में गिरफ्तार कसाब के गांव में अपने स्टिंग आपरेशन के बाद कहा कि पाकिस्तान सरकार का यह कहना गलत है कि अजमल कसाब पाकिस्तानी नागरिक नहीं है। दूसरी ओर, मुम्बई हमले पर संसद में हुई विशेष चर्चा में एलके आडवाणी के भाषण की माकपा के सांसद सलीम तक ने भी तारीफ की। जरा परिवर्तन तो देखिए !प्रभात खबर (15 दिसंबर, 2008)
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