शनिवार, 29 सितंबर 2018

कुछ घंटे के बाद शुरू होने वाला अक्तूबर महा पुरुषों का महीना है,यह कहा जाए तो अतिशयोक्ति नहीं होगी।
इस महीने की 11 तारीख को जेपी का  जन्म दिन है और अमिताभ बच्चन का भी।दोनों के जन्म दिन मनाइए।
पर हर साल ऐसा देखा जाता है कि मीडिया खास कर इलेक्ट्रानिक मीडिया का एक हिस्सा अमिताभ बच्चन को तो उनके जन्म दिन पर तो खूब याद करता है,पर जेपी को भूल जाता है। 
उसी तरह 2 अक्तूबर को बापू को तो याद कीजिए ही,पर उस बहादुर और ईमानदार लाल बहादुर को मत भूलिए।
यह अच्छी बात है कि 31 अक्तूबर को सरदार पटेल और इंदिरा गांधी को याद करने वाले करीब-करीब  समान संख्या में लोग इस देश में अब उपलब्ध हैं।कांग्रेसी राज में तो पटेल उपेक्षित ही थे।
याद रहे कि पटेल लौह पुरूष थे तो इंदिरा जी भी साहस की प्रतिमूत्र्ति थीं।
काश ! कांग्रेस में आज इंदिरा जी जैसी हस्ती  होती ! 
 8 अतूबर को जेपी का निधन हुआ था और 12 अक्तूबर को डा.राम मनोहर लोहिया दिवंगत हुए थे।
डा.लोहिया के जीवन काल में मीडिया के अधिकांश ने उनकी उपेक्षा की । उन्हें न समझा न लोगों को समझाया।क्योंकि लोहिया नेहरू की नीतियों के कट्टर आलोचक थे और उधर मीडिया का अधिकांश नेहरू पर मोहित था।
आज जब इस देश की राजनीति व जन नीति  का
अधिकांश अघोषित रूप से लोहिया की नीतियों यथा सामाजिक न्याय से प्रेरित है, तो नयी पीढ़ी को लोहिया से परिचित कराने वाले लोग ही अब दुर्लभ हैं।कुछ राजनीतिक लोग लोहिया का नाम तो लेते हैं,पर खुद ऐसे-ऐसे काम  करते रहते हैं जिन्हें  लोहिया कभी पसंद ही नहीं करते।उन्हें देख कर कभी- कभी लोहिया से अनजान नयी पीढ़ी के बड़े हिस्से को यह लगता होगा कि शायद  लोहिया इन्हीं लोगों जैसे थे !  
विजय दशमी 18 अक्तूबर को है जो असत्य पर सत्य की जीत  का पर्व है।हमारे दिवंगत नेताओं के सत्य लोगों तक आने चाहिए।क्योंकि ऐसे  नेता अब इस धरती पर नहीं आ रहे हैं।
  कुल मिलाकर अक्तूबर अनेक लोगों के लिए अनेक नेताओं से अनेक तरीके से  प्रेरणा लेने का  महीना है यदि कोई लेना चाहे तो ।

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