गुरुवार, 13 सितंबर 2018

 आज की कुछ महत्वपूर्ण खबरों को ध्यान में रखते हुए मैंने 
टी.वी.खोली।एक चैनल पर गया।वहां ‘आदमी भुकाओ कार्यक्रम’ चल रहा था।
  दूसरे चैनल पर गया।वहां भी  झांव -झांव हो रहा था।
यानी एक साथ कई माननीय अतिथि बोल रहे थे।किसी की कोई बात समझ मंे नहीं आ रही थी।एंकर लाचार !
तीसरे चैनल पर नहीं गया कि वहां भी
तो कांव -कांव ही हो रहा होगा ! अब सोने जा रहा हूं।
मुझे आश्चर्य सिर्फ इस बात पर होता है कि बारी से पहले बोलने वाले की माइक डाउन क्यों नहीं की जाती ?
ऐसी नाकामी के कारण एंकर के बारे में लोगों में अच्छी राय नहीं बनती।
जो लचर हाल इस देश की विधायिकाओं के पीठासीन पदाधिकारियों का है, वही हाल महत्वपूर्ण चैनलों के चर्चित एंकरों का भी है।वहां मार्शल का इस्तेमाल नहीं तो यहां माइक डाउन नहीं।देश ऐसे ही चल रहा है।
@ 12 सितंबर 2018@

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