सन 2005 में बिहार में बिजली की खपत मात्र 1122 मेगावाट थी।
2018 में यह बढ़कर इस राज्य में 5008 मेगावाट हो गयी है।
दूसरी तरफ बिहार जैसे गरीब राज्य में भी गांव -गांव में भी स्मार्ट फोन अब देखे जा सकते हैं।
बिजली की उपलब्धता के कारण अब मोबाइल फोन-स्मार्ट फोन को चार्ज करने की भी कोई समस्या नहंीं रही।
इस कारण भी स्मार्ट फोन की संख्या बिहार में भी बढ़ती ही जा रही है।
राजनीतिक रूप से अत्यंत जागरूक राज्यों में बिहार का स्थान पहले भी संभवतः सबसे ऊपर रहा है।
अब अंदाज लगाइए कि अगले लोक सभा चुनाव में किसी भी दल को वोट देने से पहले बिहार के मतदाताओं के पास भी देश-विदेश-प्रदेश की सारी सूचनाएं उपलब्ध होंगी।इससे मतदातागण किसी खास दल या गठबंधन के बारे में अपनी राय बनाने के मामले में बेहतर स्थिति में होंगे।
2018 में यह बढ़कर इस राज्य में 5008 मेगावाट हो गयी है।
दूसरी तरफ बिहार जैसे गरीब राज्य में भी गांव -गांव में भी स्मार्ट फोन अब देखे जा सकते हैं।
बिजली की उपलब्धता के कारण अब मोबाइल फोन-स्मार्ट फोन को चार्ज करने की भी कोई समस्या नहंीं रही।
इस कारण भी स्मार्ट फोन की संख्या बिहार में भी बढ़ती ही जा रही है।
राजनीतिक रूप से अत्यंत जागरूक राज्यों में बिहार का स्थान पहले भी संभवतः सबसे ऊपर रहा है।
अब अंदाज लगाइए कि अगले लोक सभा चुनाव में किसी भी दल को वोट देने से पहले बिहार के मतदाताओं के पास भी देश-विदेश-प्रदेश की सारी सूचनाएं उपलब्ध होंगी।इससे मतदातागण किसी खास दल या गठबंधन के बारे में अपनी राय बनाने के मामले में बेहतर स्थिति में होंगे।
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