सोमवार, 10 सितंबर 2018

आज के ‘हिन्दुस्तान’ के पहले पेज की पहली खबर का 
शीर्षक है-‘आलस्य से एक तिहाई भारतीय बीमार।’
विश्व स्वास्थ्य संगठन की रपट के आधार पर यह खबर दी गयी है।
सबसे बड़ी बात यह है कि स्वास्थ्य से संबंधित ऐसी खबर को किसी दैनिक अखबार में लीड बनाया गया है।
अखबार का यह काम अत्यंत सराहनीय है।
जब आलस्य देश की एक तिहाई आबादी को बीमार बनाए तो 
ऐसी खबर लीड बननी ही चाहिए।
अगर आप कम शारीरिक श्रम कर रहे हैं तो जान लें कि आप गंभीर बीमारियों को न्योता दे रहे हैं।
 मैंने सिर्फ आलस्य और अति भोजन के कारण कई लोगों को गंभीर रूप से बीमार होते और असमय गुजर जाते देखा है।
कुछ लोगों को तो कहते -कहते आप थक जाएंगे किन्तु वे टहलने नहीं निकलेंगे।
  मैंने खुद कभी ऐसी गलती की और उसका कुपरिणाम भुगता।पर, जब जान पर आई तो मैंने अपनी गलती को सुधारने की कोशिश की।कुछ सफल भी हुआ।उसका सुफल पाया।आज मैं बिना थके लंबे घंटे तक काम करता हूं।फिर भी मानता हंू कि मैंने खुद में अभी उतना सुधार नहीं लाया है जितना होना चाहिए।कोशिश जारी है।यदि नहीं करते हों तो थोड़ी कोशिश आप भी करके देखें ! यह सलाह उनके लिए है जो साठ पार कर चुके हैं।नौजवान तो मेरी इस बिन मांगी सलाह पर हंसेंगे।
  हंसने दीजिए।कुछ होशियार लोग दूसरों को गलती करते देख सीख लेते हैं।पर अधिकतर लोग गलतियों को खुद पर आजमाए बिना नहीं सीखते।कई लोग तो अंत -अंत तक नहीं सीखते। 
- 6 सितंबर 2018 -

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