मंगलवार, 18 जून 2019

ए.के.राय को जन्म दिन पर बधाई !

नेताओं के बीच के संत कॉमरेड ए.के.राय का आज जन्मदिन है। तीन बार विधायक और तीन बार सांसद रहे ए.के. राय इन दिनों धनबाद में  अपने एक साथी के घर रह रहे हैं।

इंजीनियर रहे ए.के. राय ने जनसेवा को प्राथमिकता दी। न शादी की और न परिवार खड़ा किया। कोई मकान तक नहीं बनाया। 

मैं 1972 में उनसे कई बार पटना में मिला था। तब वे विधायक थे। जैसे तब थे, वैसे ही बाद के दिनों में भी रहे। एक सामान्य साधनहीन भारतीय की तरह। वे सांसदों की वेतन वृद्धि का विरोध करने वाले संभवतः एकमात्र सांसद थे। अपनी पेंशन राशि भी उन्होंने राष्ट्रपति कोष में दान दे दी।

हिंसाग्रस्त धनबाद में मजदूरों के बीच काम करना काफी जोखिम भरा काम रहा है। कई बड़े मजदूर नेता मारे गए। कहते हैं कि सांसद राय को भी मारने के लिए कोई शूटर भेजा गया था। पर एक सांसद की फटेहाली देख कर वह अपना काम किए बिना लौट गया। हां, 2014 में चोर उनके घर में घुस गए थे। उन्हें लूटा भी। 

पर जब बाद में पता चला तो चोरों ने माफी मांग ली। एक जमाने में धनबाद तथा आसपास के इलाके में शिबू सोरेन, विनोद बिहारी महतो  और ए.के. राय गरीबों के बीच किवदंती बन गए थे।

गरीबों-मजदूरों की सेवा के काम में इन्हें धनबाद के तत्कालीन डी.सी. के.बी. सक्सेना से मदद मिलती रहती थी। शिबू तो अपनी छवि बनाए नहीं रख सके, पर ए.के. राय ने ‘जस की तस धर दीनी चदरिया।’ उनके जन्म दिन पर राय साहब को मेरी बधाई !

काश! राय साहब जैसा निःस्वार्थ सेवाभावी नेताओं की संख्या हर दल व हर विचारधारा की जमातों में बढ़ पाती। इसके विपरीत आज के तो अधिकतर नेतागण चौधरी देवीलाल की कभी की इस उक्ति का अनुसरण करते हैं कि ‘राजनीति में सिद्धांत कुछ नहीं होता। सब कुछ सत्ता के लिए होता है। मेनिफेस्टो का कवर बदलता रहता है। पर, मजमून कभी नहीं बदलता।’

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