शुक्रवार, 14 जून 2019

कारनामे चंबल वाले, लूटने का तरीका बदला


इस देश में लोकतंत्र नहीं आता तो वे शायद चंबल के बीहड़ों में कंधे पर बंदूक लेकर विचरण कर रहे होते। पर, कुछ दशक पहले कतिपय नेताओं की मेहरबानी से वे चुनावी राजनीति मेंं प्रवेश कर गए।

पहले कुछ नेताओं के लिए बूथ कैप्चर कर रहे थे। बाद में खुद चुनाव लड़ कर विधायिका और सत्ता के शीर्ष पर पहुंचने लगे। कुछ अन्य सीधे राजनीति में पहुंचे। पर, उनके कारनामे फिर भी कमोवेश चंबल वाले ही रहे। हां, लूटने का तरीका बदल गया।

कई कारणों से उनके लिए अब राजनीति में गुंजाइश कम होती जा रही है। यह नहीं कह रहा हूं कि गुंजाइश पूरी तरह समाप्त हो चुकी है। पर, उम्मीद है कि कम होती जाएगी। इसलिए उनके लिए बेहतर यह होगा कि वे फिर एक बार अपना पेशा बदल लें। 

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