अपनी इस मांग के जरिए पश्चिम बंगाल के 46 प्रमुख मुसलमानों ने ममता बनर्जी की शासन शैली और राजनीतिक शैली को बेनकाब कर दिया।
ममता की मुस्लिम तुष्टिकरण को भी जग जाहिर कर दिया।
जो आरोप ममता सरकार पर भाजपा लगाती रही है,उनकी
पुष्टि 46 जाने -माने मुसलमानों ने कर दी।
यानी,पश्चिम बंगाल से एक बात फिर सामने आई है कि किस तरह धर्म निरपेक्षता की आड़ में मुसलमानों के बीच के अतिवादी तत्वों के सात खून माफ किए जाते रहे हैं।भावनाएं उभारी जाती हैं।
वैसे में आम मुसलमानों के आर्थिक और शैक्षणिक जरूरतों को पूरा करने की जरूरत नहीं पड़ती।
साथ ही 46 जाने माने मुसलमानों ने, जिन्हें दूरदर्शी भी कहा जा सकता है, प्रकारांतर से उन भाजपा विरोधी अल्ट्रा सेक्युलर दलों को भी बेनकाब कर दिया है जो समय -समय पर ममता के गलत कामों का भी समर्थन करते रहते हैं।
दरअसल 46 मुसलमानों ने देखा कि ममता की इस तुष्टिकरण शैली से तो भाजपा, पश्चिम बंगाल विधान सभा का अगला चुनाव जीत जाएगी और अन्य कामों के साथ -साथ एन.आर.सी. भी लागू कर देगी तब क्या होगा ?
पर सवाल है कि अब तक कहां थे ये 46 जाने -माने मुसलमान बंधु ?
उन्हें पहले सामने आना चाहिए था।
उससे यह होता कि ममता की पार्टी का अधिक नुकसान नहीं होता।
खैर जो हो,जब जगे, तभी सवेरा।
अन्य राज्यों के भी जाने माने मुसलमान और जाने माने हिन्दू उन सरकारों से सार्वजनिक तौर से अपील करें जो धर्म के आधार पर भेदभाव करती है।
वैसा करके वे आम मुसलमानों और आम हिन्दुओं का ही भला करेंगे।
तब मुख्यतः उनकी रोजी -रोटी की समस्या के आधार पर राजनीति होगी न कि किसी अन्य बात की।
ममता की मुस्लिम तुष्टिकरण को भी जग जाहिर कर दिया।
जो आरोप ममता सरकार पर भाजपा लगाती रही है,उनकी
पुष्टि 46 जाने -माने मुसलमानों ने कर दी।
यानी,पश्चिम बंगाल से एक बात फिर सामने आई है कि किस तरह धर्म निरपेक्षता की आड़ में मुसलमानों के बीच के अतिवादी तत्वों के सात खून माफ किए जाते रहे हैं।भावनाएं उभारी जाती हैं।
वैसे में आम मुसलमानों के आर्थिक और शैक्षणिक जरूरतों को पूरा करने की जरूरत नहीं पड़ती।
साथ ही 46 जाने माने मुसलमानों ने, जिन्हें दूरदर्शी भी कहा जा सकता है, प्रकारांतर से उन भाजपा विरोधी अल्ट्रा सेक्युलर दलों को भी बेनकाब कर दिया है जो समय -समय पर ममता के गलत कामों का भी समर्थन करते रहते हैं।
दरअसल 46 मुसलमानों ने देखा कि ममता की इस तुष्टिकरण शैली से तो भाजपा, पश्चिम बंगाल विधान सभा का अगला चुनाव जीत जाएगी और अन्य कामों के साथ -साथ एन.आर.सी. भी लागू कर देगी तब क्या होगा ?
पर सवाल है कि अब तक कहां थे ये 46 जाने -माने मुसलमान बंधु ?
उन्हें पहले सामने आना चाहिए था।
उससे यह होता कि ममता की पार्टी का अधिक नुकसान नहीं होता।
खैर जो हो,जब जगे, तभी सवेरा।
अन्य राज्यों के भी जाने माने मुसलमान और जाने माने हिन्दू उन सरकारों से सार्वजनिक तौर से अपील करें जो धर्म के आधार पर भेदभाव करती है।
वैसा करके वे आम मुसलमानों और आम हिन्दुओं का ही भला करेंगे।
तब मुख्यतः उनकी रोजी -रोटी की समस्या के आधार पर राजनीति होगी न कि किसी अन्य बात की।
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