बुधवार, 26 जून 2019

बांटिए जरूर ,पर अपने बुढ़ापे के लिए भी कुछ बचाकर
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कई दशक पहले की बात है।
वे अविभाजित बिहार के कैबिनेट मंत्री थे।
अपार पुश्तैनी संपत्ति के मालिक भी थे।
जब उन्हें अपना लीवर बदलवाने की नौबत आई तो पत्नी और पुत्र ने कह दिया,‘क्यों 50-60 लाख रुपए बर्बाद करिएगा।अब कितने दिन जीना है !’
  पूर्व मंत्री जी को भारी सदमा लगा।
जिनके लिए सब कुछ किया,उन्होंने भी मंझधार में छोड़ दिया !
  पर, उन्होंने हार नहीं मानी।
परिवार नहीं जानता था।
रांची में उनकी एक कीमती जमीन थी।उन्होंने बेच दी।एक करोड़ रुपए मिले।
अमेरिका जाकर लीवर बदलवा लिया।
उसी के बाद मैं उनसे बिहार विधान सभा परिसर में मिला था।
हालचाल पूछने पर वे भावुक हो उठे।
अपनी यही व्यथा सुनाई।
साथ ही , मुझे उपदेश दिया,‘ सबके लिए जो भी बन पाए जरूर कीजिए,पर अपने बुढ़ापे के लिए भी अलग से कुछ बचा कर रख लीजिएगा।ध्यान रखिएगा ,उस बचत के बारे में किसी को पता न चले।’
   इस घोर कलियुग में अक्सर घर-बाहर के कृतघ्नों की कहानियां जब सुनता हूंंं तो वे पूर्व मंत्री जी याद आ जाते है।वे अब नहीं रहे।

    

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