राजस्थान की परीक्षाओं में कदाचार
की यही सजा होगी
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10 साल की कैद, 10 करोड़ रुपए तक
का जुर्माना और आरोपित की संपत्ति जब्त
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सुरेंद्र किशोर
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परीक्षाओं में कदाचार के लिए कितनी सजा होनी चाहिए ?
उतनी ही जितनी सजा का प्रस्ताव राजस्थान सरकार ने
एक विधेयक के जरिए किया है।
राजस्थान विधान सभा में वह विधेयक पेश हो चुका है।
पास भी हो जाएगा।
वहां सदन की बैठक जारी है।
आशंका है कि इस कानून के लागू हो जाने के बाद गहलोत के नेतृत्व वाली कांग्रेस सरकार संभवतः सन 2023 चुनाव में अपदस्थ हो जाएगी।
जब एक घनघोर अपराधी के पुलिस एनकाउंटर में मारे जाने के बाद 2018 के राजस्थान विधान सभा चुनाव में भाजपा सरकार हार गई थी तो कदाचार रोकना तो किसी अपराधी के मारे जाने की अपेक्षा अनेक लोगों की दृष्टि में अधिक बड़ा ‘‘अपराध’’ है।
याद रहे कि उस घनघोर अपराधी की जाति के अनेक मतदाताओं ने राजस्थान की भाजपा सरकार को हराने में तब महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी।
उत्तर प्रदेश की कल्याण सिंह सरकार ने कभी परीक्षा में कदाचार लोहे के हाथों से रोका था।
अगले ही चुनाव के ठीक पहले मुलायम सिंह की पार्टी ने कदाचारियों के पक्ष में हवा बनाई।
विधान सभा चुनाव में सपा कल्याण सरकार को हटा कर खुद सत्ता में आ गई थी।लोग ‘‘राम लला मंदिर’’ के लिए कल्याण सरकार के योगदान को भी भूल गए थे।
मुलायम सरकार ने नकल
विरोधी कानून को रद करा दिया।
उसी तरह मुख्य मंत्री योगी आदित्यनाथ सरकार पर एक घनघोर अपराधी की पुलिस मुंठभेड़ में हत्या का आरोप है।
देखना है कि उस अपराधी की जाति के कितने लोग इस चुनाव में कैसी भूमिका निभाते हैं !
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खैर जो हो,गहलोत सरकार इस विधेयक के लिए बधाई की पात्र है।
क्योंकि विभिन्न परीक्षाओं में भारी कदाचार इस देश के लिए भीषण अभिशाप बन चुका है।
पीढ़ियां बर्बाद हो रही हैं।
उसी के साथ देश भी।
विभिन्न परीक्षाओं में कदाचार इस तेजी से बढ़ता जा रहा है कि लगता है कि आगे चल कर न तो ठीकठाक प्रश्न
पत्र सेट करने लायक योग्य व्यक्ति मिलेंगे और न ही प्रश्न पत्र सही सही जांचने वाले।
चिंता की बात यह है कि देश के अनेक मेडिकल और इंजीनिरिंग कालेजों (सभी नहीं)के भी छात्र कदाचार की अनुमति के बिना परीक्षाओं में बैठने के लिए भी तैयार नहीं होते हैं।
अनेक मेडिकल काॅलेजों से आ रही इस तरह की सनसनीखेज जानकारियों की सत्यता की सरकारें व्यापक खुफिया जांच करवाएं।
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1 मार्च 22
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