यदि किसी ने आपकी कभी गाढ़े में मदद की
है तो उसे आप जरूर कृतज्ञतापूर्वक याद रखिए
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इससे मददगार को किसी अन्य को भी मदद
करने की इच्छा होगी
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सुरेंद्र किशोर
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एक बार किसी ने स्वामी विवेकानन्द से कहा था,
‘‘फलां व्यक्ति आपकी बड़ी आलोचना कर रहा था।’’
उस पर विवेकानन्द ने कहा कि ‘‘आपकी बात गलत है।’’
‘‘क्यों’’--उस व्यक्ति ने सवाल किया।
विवेकानन्द ने कहा,
‘‘क्योंकि मैंने तो कभी उसका कोई भला किया ही नहीं !’’
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ऐसा क्यों होता है ?
इसका जवाब ओशो यानी आचार्य रजनीश ने अन्य संदर्भ में दिया है।
रजनीश के अनुसार, ‘‘आप जिसका भला करते हैं,वह आपके सामने आने पर खुद को छोटा महसूस करने लगता है।
उस हीन भावना से उबरने के लिए आपकी आलोचना करके वह आपसे खुद को बड़ा साबित करने की कोशिश करता है।’’
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किसी को उसकी कभी की मदद के लिए याद करने का अच्छा प्लेटफार्म आज यह सोश्ल मीडिया है।
इसमें कोई शुल्क तो लगना नहीं है।
मैं ऐसी ही एक शुरूआत करता हूं।
कुछ दशक पहले की बात है।
प्रो.जाबिर हुसेन तब बिहार विधान परिषद के सभापति थे।
(अब तो वे सक्रिय राजनीति से अलग हैं और साहित्य में डूबे हुए हैं।)
मैं तब अपनी पत्रकारीय लेखन को लेकर भारी परेशानी में पड़ गया था।
उस परेशानी से निकलना मेरे लिए कठिन हो रहा था।
मुझे याद नहीं कि मैंने इसके लिए जाबिर साहब से खुद कोई मदद मांगी थी या नहीं।
जो हो,उनकी भरपूर मदद मुझे मिली।
इस तरह उन्होंने मेरा तनाव दूर कर देने का उपाय कर दिया।
लगे हाथ बता दूं कि जिस रपट के कारण मैं परेशानी में पड़ा था,उस रपट में मेरी कोई गलती नहीं थी।
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23 मार्च 22
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