खुद को खतरे में डालकर मधु लिमये की जान
बचाने वाले रामदेव सिंह यादव नहीं रहे
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सुरेंद्र किशोर
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बिहार सरकार के पूर्व मंत्री रामदेव सिंह यादव का गुरुवार को मुंगेर मंे निधन हो गया।
वे 84 साल के थे।
वे मुंगेर से विधायक हुआ करते थे।
1990 से 1994 तक रामदेव यादव लालू प्रसाद मंत्रिमंडल में थे।
वे महाबली नेता लालू प्रसाद से भी दबते नहीं थे।
यदा कदा दोनों के बीच मतभेद सामने आता रहता था।
रामदेव जी शरीर से मजबूत व साहसी व्यक्ति थे।
उन्होंने सन 1967 में मुंगेर में एक जानलेवा हमले में मधु लिमये को बचाया था।
राजनीतिक विरोधियों के हमले से जब मधु लिमये जमीन पर गिर गए तो
मधु लिमये के शरीर को ढकते हुए रामदेव यादव ने उन्हें बचाया और खुद भी चोट खाई।
मधु लिमये और राम देव दोनों को अस्पताल में भर्ती कराना पड़ा था।
मधु लिमये के करीबी रहे पूर्व सांसद राजनीति प्रसाद से मैंने आज पूछा कि क्या उस हमले के आरोपितों को कोई सजा हुई थी ?
उन्होंने कहा, नहीं।
मधु लिमये 1967 में मुंगेर लोक सभा चुनाव क्षेत्र में संयुक्त सोशलिस्ट पार्टी के उम्मीदवार थे।
उनके खिलाफ कांग्रेस के चंद्र शेखर सिंह मुख्य मुकाबले में थे।
मधु लिमये 1967 में दूसरी बार मुंगेर से विजयी हुए थे।
उन्हें एक लाख 8 हजार 111 मत मिले।
कांग्रेस के उम्मीदवार को 71 427 मत मिले।
उससे पहले 1964 में हुए उप चुनाव में मधु लिमये मुंगेर से जीत कर पहली बार लोक सभा गए थे।
1971 में मुंगेर में मधुजी, कांग्रेस के डी.पी.यादव से हार गए।
बाद में वे बांका से दो बार सांसद रहे।
1971 के चुनाव से ठीक पहले इंदिरा गांधी ने ‘शेेर ए बिहार’ रामलखन सिंह यादव के समक्ष आंचल फैला कर कहा था कि आप मुझे मुंगेर और बाढ़ की सीट जितवा दीजिए।
याद रहे कि इंदिरा जी तारकेश्वरी सिन्हा(बाढ़) और मधु लिमये को किसी भी कीमत पर हरवाना चाहती थीं।
दोनों हार गए।
लालू प्रसाद के उदय से पहले तक दिवंगत रामलखन सिंह यादव ही बिहार के यादवों के सबसे बड़े नेता थे।
उनके समर्थक उन्हें ‘शेर ए बिहार’ कहते थे।
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18 मार्च 22
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