बुधवार, 2 मार्च 2022

 क्या इक्के -दुक्के वैसे नेता भी सत्ता में 

न रहें जिनकी ‘‘नाक नहीं कटी’’ है ?

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सुरेंद्र किशोर

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मैं यहां नीतीश सरकार या नरेंद्र मोदी सरकार की सफलता या विफलता की चर्चा नहीं करूंगा।

उस पर अलग -अलग राय हो सकती है।

मैं नीतीश कुमार के सिर्फ दो विरल गुणों की चर्चा करूंगा।

उनके राजनीतिक प्रतिद्वंद्वी भी उन पर भ्रष्टाचार या वंशवाद-परिवारवाद का आरोप नहीं लगा सकते।

यही बात मैं नरेंद्र मोदी के बारे में कहूंगा।

नीतीश कुमार व नरेंद्र मोदी जैसे इस देश में अभी कितने नेता मौजूद हैं जिन्होंने लंबे समय तक सत्ता के शीर्ष पदों पर रहने के बावजूद इन दो गुणों को बनाए रखा ?

होंगे,पर मुझे नहीं मालूम।

  ऐसे नेताओं को किसी न किसी बहाने सत्ता से जल्द से जल्द हटाने की कोशिश निहितस्वार्थियों द्वारा होती रहती है।

कारण कई हैं।

पर, एक कारण यह भी है कि इनके हटने से देश भर में फैले वंशवादी-परिवारवादी व भ्रष्ट नेताओं को यह कहने का अवसर मिल जाएगा कि राजनीति में वंशवाद-परिवारवाद और भ्रष्टाचार जरूरी है।याद रहे कि अपवादों को छोड़कर जो वंशवादी परिवार वादी है,वह भ्रष्ट भी है। 

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दश्कों से देख रहा हूं।

बिहार के कई नेताओं ने सांसद बनने के बाद दूसरी शादी कर ली।

उनमें से एक नेता ने अपनी पहली पत्नी को यह कह कर समझाया था कि दिल्ली की राजनीति में तरक्की करने के लिए दूसरी पढ़ी लिखी पत्नी जरूरी है।

  (उस पहली पत्नी ने पत्रकार कन्हैया भेलारी को यह बात कई दशक पहले बताई थी।)

मुझे तो लगता है कि नीतीश कुमार को राष्ट्रपति पद का आॅफर देना उस उद्देश्य का हिस्सा हो सकता है ।वह यह कि एक ईमानदार मुख्य मंत्री को उसके पद से यथाशीघ्र अलग कर दिया जाए।

नरेंद्र मोदी से ‘पीड़ित’ बाहर-भीतर के भ्रष्ट तत्व भी कह रहे हैं कि 75 साल की उम्र के बाद उन्हें पद से हट जाना चाहिए।ताकि, कोई ऐसा प्रधान मंत्री बने जो भ्रष्टों का भी ध्यान रखे।

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मैं कोई दावा नहीं करता कि नीतीश कुमार की सरकार में भ्रष्टाचार मौजूद नहीं है।

किंतु इस गरीब प्रदेश के लिए यह संतोष की बात है कि जो सरकारी पैसे पहले अधिकतर मुख्य मंत्री लूटते रहे हैं,वे बच रहे हैं और  अब जनता के कल्याण के काम में लग रहे हैं।

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कुछ लोग कहते हैं कि नीतीश कुमार का पुत्र राजनीति में आने को अनिच्छुक है।

इसलिए उन पर यह आरोप नहीं है।

पर सवाल है कि भ्रष्ट तरीके से अपार धन कमाने से नीतीश को कौन रोक रहा है ?कौन प्रवृति बाधक है ?

  दरअसल ऐसा सवाल करने वाले यह स्वीकार नहीं करते कि जिस नेक व सेवा भावी प्रवृति के कारण कोई भ्रष्ट नहीं होता,उसी प्रवृति के कारण वह परिवारवादी-वंशवादी भी नहीं होता।

क्या इस देश के वंशवादी परिवारवादी नेता सिर्फ पुत्र को ही राजनीति में आगे बढ़ाते हैं ?

नेहरू और मुलायम जैसे नेताओं ने तो लगभग अपने सभी उपलब्ध परिजन को राजनीति में आगे किया।

  नीतीश कुमार व मोदी के भी भाई,भतीजा,साला, बहनोई हैं।

किसी अन्य परिवारवादी नेताओं के रिश्तेदारों से वे कम योग्य नहीं हैं।

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लगता है कि कुछ नेता चाहते हैं कि वैसे सत्ताधारी नेताओं को मुख्य धारा से हटा दिया जाए जिनकी ‘नाक अब तक नहीं कटी’ है।

हमारी नाक कटी है तो राजनीति ऐसी बने जिसमें सबकी कटी हुई दिखाई पड़नी चाहिए।

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23 फरवरी 22   


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