पूर्व सांसद देवेंद्र प्रसाद यादव भी राजद में शामिल हो गए।
उनसे पहले नामी-गिरामी नेता शरद यादव राजद में शामिल हो चुके हैं।
राजद में शामिल होने का उनका फैसला सही है।
ये बड़े नेता पहले छोटे दलों में थे।
यानी, गुरदेल की गोली थे।
अब बंदूक की गोली हो गए हैं।
हालांकि इन दोनों में से किसी नेता का वास्तविक गोली-बंदूक से कभी कोई सीधा संबंध नहीं रहा है।
इस देश में दलों की संख्या जितना कम हो तो लोकतंत्र उतना ही बेहतर ढंग से काम करेगा।
वैसे भी कुछ छोटे -छोटे दल धीरे -धीरे कमजोर होते जा रहे हैं।
आगे भी ऐसे बाकी दलों का भविष्य बेहतर नजर नहीं आ रहा है।
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सुरेंद्र किशोर
24 मार्च 22
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