राष्ट्र हित, धर्म हित और विचार धारा हित !
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सुरेंद्र किशोर
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मुख्यतः इन्हीं तीन बातों को ध्यान में रखते हुए दुनिया का कोई भी देश अपनी विदेश नीति-रणनीति तय करता रहा है।
कोई देश इनमें से किसी एक तत्व पर जोर देता है तो कोई अन्य देश किसी अन्य तत्व पर।
किंतु आजादी के बाद हमारे देश के कर्णधार ने विश्व नेता बनने के लिए विश्व हित का राष्ट्रहित की अपेक्षा अधिक ध्यान में रखा।
इस देश को उसके बुरे नतीजे भुगतने पडे़।
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आज भी इस देश के कुछ अतीतजीवी लोग सवाल उठा रहे हैं कि मोदी सरकार ने रूस-उक्रेन युद्ध में रूस का साथ क्यों नहीं दिया ?
अब सवाल है कि क्या सन 1962 के चीनी हमले के समय सोवियत संघ ने भारत का साथ दिया था ?
उस समय यह तर्क
दिया गया कि सोवियत संघ ने कहा कि हम भाई व मित्र के बीच हस्तेक्षप नहीं किया।
किंतु असल कारण यह नहीं था।
असल कारण सोवियत संघ का विचारधारा हित था।
यानी, एक कम्युनिस्ट देश सोवियत संघ एक अन्य कम्युनिस्ट देश चीन के साथ था।
एक रिसर्च से बाद यह पता चला था कि सोवियत संघ की सहमति के बाद ही 1962 में चीन ने भारत पर हमला किया था।
रिसर्च पर आधारित वह लेख इलेस्ट्रेटेड वीकली आॅफ इंडिया में छपा भी था।
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1 मार्च 22
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