मंगलवार, 26 जून 2018

इमरजेंसी 1975 : दिल्ली के बड़े अफसरों की रिपोर्ट— हालात खराब थे ऐसी कभी बात तक नहीं हुई ...

मोरारजी देसाई सरकार ने आपातकाल में हुई ज्यादतियों की जांच के लिए शाह आयोग का गठन किया था। 25 और 26 जून 1975 के बीच की रात में घोषित आपातकाल को लेकर शाह आयोग की रपट में दर्ज कुछ पंक्तियां यहां उधृत की जा रही हैं।

  ‘प्रधानमंत्री के सचिव श्री पी.एन.धर ने अपने बयान में बताया कि उन्हें 25 जून 1975 को 11.30 बजे रात प्रधानमंत्री निवास बुलाए जाने पर ही इस बारे में पता चला, जब उन्हें आकाशवाणी पर प्रधानमंत्री द्वारा दिए जाने वाले भाषण का मसौदा पढ़ने को दिया गया।’


  कैबिनेट सेक्रेटरी श्री बी.डी. पांडेय को 26 जून को सुबह 4.30 बजे प्रधानमंत्री निवास से फोन मिला और कहा गया कि उस दिन सुबह 6 बजे मंत्रिमंडल की बैठक होनी है। आपात स्थिति की घोषणा के बारे में सबसे पहले उन्हें सूचना उसी सुबह मिली। वे आश्चर्यचकित थे कि किसने और कैसे 25 और 26 जून के बीच की रात को इतनी संख्या में गिरफ्तारियां कराईं।


सामान्यतः इतनी जल्दी कार्रवाई के लिए निदेश गृह मंत्रालय के जरिए भेजे जाते हैं जिनके पास संचार की अपनी व्यवस्था होती है।’


‘बी.डी. पांडेय के अनुसार 26 जून के पहले किसी भी मंत्रिमंडल की बैठक में आपात स्थिति की घोषणा की आवश्यकता या देश में ऐसी किसी परिस्थिति के बारे में, जिसमें ऐसी घोषणा आवश्यक हो, कोई बात नहीं हुई थी।’


आसूचना ब्यूरो के निदेशक श्री आत्मा जयराम ने कहा कि 26 जून को कार्यालय जाने के बाद उन्हें आपातस्थिति की घोषणा के बारे में पता चला।’


श्री एस.एल. खुराना, जो भारत सरकार के गृह सचिव थे, 26 जून की सुबह मंत्रिमंडल की बैठक के बाद ही इसके बारे में जान पाए, जिसके लिए उन्हें सूचना 6 बजे ही मिली थी। तदनुसार, वे मंत्रिमंडल की बैठक में सुबह 6.30 बजे ही आ पाए जबकि बैठक खत्म हो चुकी थी।

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