वी.पी.सिंह के जन्म दिन पर उनकी याद में
---------------------------
वी.पी.सिंह के जीवन पर अच्छी पुस्तक वरिष्ठ पत्रकार राम बहादुर राय ने लिखी है।
पुस्तक का नाम है ‘विश्वनाथ प्रताप सिंह ः मंजिल से ज्यादा सफर।’
यह नाम ही बहुत कुछ कह देता है।यह पुस्तक उनसे बातचीत पर आधारित है।इस बातचीत की खूबी यह है कि वी.पी.सिंह यह मान कर चल रहे हैं कि उन्हें अब आगे कोई पद नहीं लेना है।ऐसे में वे बेबाक बातें करते हैं।उस पुस्तक से वी.पी.सिंह के ही शब्दों में कुछ प्रकरण यहां प्रस्तुत है।
‘सवाल ः कांग्रेस में क्या जाति आधारित गुटबाजी का चलन था ?
जवाब ः पूरी तरह जातिवादी गुट नहीं बने हुए थे। एक हद तक ही उन्हें जातिवादी गुट कहा जा सकता है।कुछ नेता हर जाति में अपना प्रभाव रखते थे।हेमवतीनंदन बहुगुणा उन्हीें नेताओं में थे।कमलापति त्रिपाठी के इर्दगिर्द ब्राह्मण अधिक होते थे।लेकिन पं.कमलापति त्रिपाठी को जातिवादी नहीं कहा जा सकता।जाति की तरफ उनका झुकाव था लेकिन हेमवती नंदन बहुगुणा में वह भी नहीं था।
सवाल ः जाति से परे जाकर देखें तो कांग्रेस में जो टकराव उस समय थे,उनकी जड़ें कहां -कहां थीं ?
जवाबः एक टकराव आर्थिक माना जा सकता है। उत्तर प्रदेश में आजादी की लड़ाई में ब्राह्मणों ने बढ़ -चढ़ कर हिस्सा लिया। उनके पास जमीन जायदाद कम थी। वह राजपूतों के पास थी।ज्यादातर जमींदार वही थे।रियासतें भी उन्हीें के पास थी।उत्तर प्रदेश में ब्राह्मण रियासतें सिर्फ दो ही रही हैं।जमींदारों की दिलचस्पी आजादी की लड़ाई में कम थी।उनको अपनी जमींदारी चले जाने का खतरा दिखता था।कांग्रेस में यह तबका बाद में आया।लेकिन साधारण राजपूत तो शुरू से ही कांग्रेस में थे।ऐसे ही आजादी की लड़ाई में दलितों की प्रमुख भूमिका थी।कांग्रेस में जो सामाजिक ध्रुवीकरण बना था उसमें ब्राह्मण और दलित एक साथ थे।दलित और किसान की हिमायत में ब्राह्मण खड़े होते थे।इस कारण कांग्रेस के नेतृत्व समूह में ब्राह्मणांे की प्रमुखता थी।उस समय जाति का बोलबाला वैसा नहीं था,वह बाद में आया।
सवाल ः उत्तर प्रदेश कांग्रेस के जनाधार खिसकने के खास कारण आप क्या देखते हैं ?
जवाब ः कांग्रेस का स्वाभाविक नेतृत्व ब्राह्मणों के हाथ में था।दूसरे वर्ग दलित और मुस्लिम भी थे।जब स्वाभाविक नेतृत्व स्थापित हो जाता है तो वह चलता रहता है।उनका नए समूहों से कई बार टकराव भी होता है।नेतृत्व यह समझ नहीं पाता कि नए समूहों को किस तरह जगह दें और उनको शामिल करें।यही कठिनाई कांग्रेस की भी थी।जो जनाधार कांग्रेस का था, उसे वापस लाने में कामयाब नहीं हो सके।
सवाल ः पहले फेयर फैक्स, फिर पनडुब्बी और उसके बाद बोफर्स तोप सौदे में दलाली का सवाल उठा।उसकी जांच की मांग कैसे उठी ?
जवाब ः अखबारों में दस्तावेज आदि छपने लगे।उस समय जांच की मांग उठी।उसी समय छपा कि अजिताभ बच्चन का स्विट्जर लैंड में बंगला है।वे एक टूरिस्ट के रूप में गए थे।फिर बंगला कैसे खरीद लिया ?उस समय फेरा सख्ती से लागू होता था।
सवाल ः क्या इसे आपने कहीं उठाया ?
जवाब ः मैं उस समय कांग्रेस में था।संसदीय पार्टी की बैठकों में जाता था।वहां इसे उठाया।मैंने कहा कि प्रधान मंत्री जी आपने कहा है कि सच्चाई सामने लाने के लिए हर संभव प्रयास करेंगे।कृपया इस सच्चाई का पता करिए।इसकी जांच होनी चाहिए।अगर यह सही नहीं है तो उस अखबार के खिलाफ कार्रवाई होनी चाहिए।उन्होंने कहा कि जांच करवाएंगे।
सवालः राजीव गांधी से सीधी भेंट उस समय आपकी कहां हुई ?
जवाब ः उन्होंने दो बार बुलाया।उन्होंने मुझसे पूछा कि यह क्या हो रहा है ?
उनके सवाल में यह छिपा हुआ था कि मैं विपक्ष से हाथ मिला रहा हूं।मैंने कहा कि यह बातचीत राजीव गांधी और विश्व नाथ प्रताप में हो रही है।इस भ्रम में मत रहिए कि हमारी बातचीत प्रधान मंत्री और मंत्री के बीच हो रही है।सीधी बात है कि अगर आप यह महसूस करते हैं कि मैं आपके साथ राजनीतिक खेल, खेल रहा हूं तो इस बातचीत का कोई फायदा नहीं है।ऐसे ही अगर मेरे मन में यह है कि आप मेरे साथ राजनीति कर रहे हैं तो इस बातचीत से हम कहीं नहीं पहुंचेंगे।हममंे यह विश्वास और भरोसा होना चाहिए कि राजनीति आड़े नहीं आएगी।अगली बात यह है कि के.के.तिवारी और कल्प नाथ राय मुझे सी.आई.ए. एजेंट कहते हैं। मैं जानता हूं कि ये लोग लाउड स्पीकर हैं। माइक इस कमरे में लगा है जहां हम हैं। यहां से जो बोला जाता है वही लाउड स्पीकर पर बाहर सुनाई पड़ता है।उनकी हिम्मत कहां है कि वे मुझे सी.आई.ए.एजेंट कहें।
सवाल ः राजीव गांधी ने क्या सफाई दी ?
जवाब ः उन्होंने कहा कि पार्टी आपसे बहुत नाराज है।वे लोग भी नाराज हैं।इसलिए बोल रहे हैं।मैं इनसे कहूंगाा कि कम बोलें।मैंने उनसे कहा कि वे दस गाली दे रहे थे,अब दो गाली देंगे।कोई भ्रम न रहे इसलिए साफ -साफ कहा कि जो लोग गाली दे रहे हैं वे मेरी देश भक्ति पर प्रश्न खड़े कर रहे हैं।जब देशप्रेम का सवाल आता है और जब भी आता है तो लोग जान की बाजी लगा देते हैं। अपना सिर कटा देते हैं और मैं भी अपनी देश भक्ति के लिए अंतिम दम तक ऐंड़ी जमा कर लड़ूंगा।
सवाल ः इस पर उन्होंने क्या कहा ?
जवाब ः राजीव गांधी ने कहा कि मैं इन लोगों को समझाऊंगा। मैंने उनसे कहा कि देखिए आपकी मां के साथ काम करते हुए कांग्रेस नामक मशीन को हमने चलाया है। इसका एक- एक नट- बोल्ट हम जानते हैं। मेरे जैसे सेकेंड रैंकर लोगों ने हेमवती नंदन बहुगुणा को भगा दिया क्योंकि वे यह चाहती थीं। वे नहीं बोलीं। हमलोगों ने ही यह काम किया।
---------------------------
वी.पी.सिंह के जीवन पर अच्छी पुस्तक वरिष्ठ पत्रकार राम बहादुर राय ने लिखी है।
पुस्तक का नाम है ‘विश्वनाथ प्रताप सिंह ः मंजिल से ज्यादा सफर।’
यह नाम ही बहुत कुछ कह देता है।यह पुस्तक उनसे बातचीत पर आधारित है।इस बातचीत की खूबी यह है कि वी.पी.सिंह यह मान कर चल रहे हैं कि उन्हें अब आगे कोई पद नहीं लेना है।ऐसे में वे बेबाक बातें करते हैं।उस पुस्तक से वी.पी.सिंह के ही शब्दों में कुछ प्रकरण यहां प्रस्तुत है।
‘सवाल ः कांग्रेस में क्या जाति आधारित गुटबाजी का चलन था ?
जवाब ः पूरी तरह जातिवादी गुट नहीं बने हुए थे। एक हद तक ही उन्हें जातिवादी गुट कहा जा सकता है।कुछ नेता हर जाति में अपना प्रभाव रखते थे।हेमवतीनंदन बहुगुणा उन्हीें नेताओं में थे।कमलापति त्रिपाठी के इर्दगिर्द ब्राह्मण अधिक होते थे।लेकिन पं.कमलापति त्रिपाठी को जातिवादी नहीं कहा जा सकता।जाति की तरफ उनका झुकाव था लेकिन हेमवती नंदन बहुगुणा में वह भी नहीं था।
सवाल ः जाति से परे जाकर देखें तो कांग्रेस में जो टकराव उस समय थे,उनकी जड़ें कहां -कहां थीं ?
जवाबः एक टकराव आर्थिक माना जा सकता है। उत्तर प्रदेश में आजादी की लड़ाई में ब्राह्मणों ने बढ़ -चढ़ कर हिस्सा लिया। उनके पास जमीन जायदाद कम थी। वह राजपूतों के पास थी।ज्यादातर जमींदार वही थे।रियासतें भी उन्हीें के पास थी।उत्तर प्रदेश में ब्राह्मण रियासतें सिर्फ दो ही रही हैं।जमींदारों की दिलचस्पी आजादी की लड़ाई में कम थी।उनको अपनी जमींदारी चले जाने का खतरा दिखता था।कांग्रेस में यह तबका बाद में आया।लेकिन साधारण राजपूत तो शुरू से ही कांग्रेस में थे।ऐसे ही आजादी की लड़ाई में दलितों की प्रमुख भूमिका थी।कांग्रेस में जो सामाजिक ध्रुवीकरण बना था उसमें ब्राह्मण और दलित एक साथ थे।दलित और किसान की हिमायत में ब्राह्मण खड़े होते थे।इस कारण कांग्रेस के नेतृत्व समूह में ब्राह्मणांे की प्रमुखता थी।उस समय जाति का बोलबाला वैसा नहीं था,वह बाद में आया।
सवाल ः उत्तर प्रदेश कांग्रेस के जनाधार खिसकने के खास कारण आप क्या देखते हैं ?
जवाब ः कांग्रेस का स्वाभाविक नेतृत्व ब्राह्मणों के हाथ में था।दूसरे वर्ग दलित और मुस्लिम भी थे।जब स्वाभाविक नेतृत्व स्थापित हो जाता है तो वह चलता रहता है।उनका नए समूहों से कई बार टकराव भी होता है।नेतृत्व यह समझ नहीं पाता कि नए समूहों को किस तरह जगह दें और उनको शामिल करें।यही कठिनाई कांग्रेस की भी थी।जो जनाधार कांग्रेस का था, उसे वापस लाने में कामयाब नहीं हो सके।
सवाल ः पहले फेयर फैक्स, फिर पनडुब्बी और उसके बाद बोफर्स तोप सौदे में दलाली का सवाल उठा।उसकी जांच की मांग कैसे उठी ?
जवाब ः अखबारों में दस्तावेज आदि छपने लगे।उस समय जांच की मांग उठी।उसी समय छपा कि अजिताभ बच्चन का स्विट्जर लैंड में बंगला है।वे एक टूरिस्ट के रूप में गए थे।फिर बंगला कैसे खरीद लिया ?उस समय फेरा सख्ती से लागू होता था।
सवाल ः क्या इसे आपने कहीं उठाया ?
जवाब ः मैं उस समय कांग्रेस में था।संसदीय पार्टी की बैठकों में जाता था।वहां इसे उठाया।मैंने कहा कि प्रधान मंत्री जी आपने कहा है कि सच्चाई सामने लाने के लिए हर संभव प्रयास करेंगे।कृपया इस सच्चाई का पता करिए।इसकी जांच होनी चाहिए।अगर यह सही नहीं है तो उस अखबार के खिलाफ कार्रवाई होनी चाहिए।उन्होंने कहा कि जांच करवाएंगे।
सवालः राजीव गांधी से सीधी भेंट उस समय आपकी कहां हुई ?
जवाब ः उन्होंने दो बार बुलाया।उन्होंने मुझसे पूछा कि यह क्या हो रहा है ?
उनके सवाल में यह छिपा हुआ था कि मैं विपक्ष से हाथ मिला रहा हूं।मैंने कहा कि यह बातचीत राजीव गांधी और विश्व नाथ प्रताप में हो रही है।इस भ्रम में मत रहिए कि हमारी बातचीत प्रधान मंत्री और मंत्री के बीच हो रही है।सीधी बात है कि अगर आप यह महसूस करते हैं कि मैं आपके साथ राजनीतिक खेल, खेल रहा हूं तो इस बातचीत का कोई फायदा नहीं है।ऐसे ही अगर मेरे मन में यह है कि आप मेरे साथ राजनीति कर रहे हैं तो इस बातचीत से हम कहीं नहीं पहुंचेंगे।हममंे यह विश्वास और भरोसा होना चाहिए कि राजनीति आड़े नहीं आएगी।अगली बात यह है कि के.के.तिवारी और कल्प नाथ राय मुझे सी.आई.ए. एजेंट कहते हैं। मैं जानता हूं कि ये लोग लाउड स्पीकर हैं। माइक इस कमरे में लगा है जहां हम हैं। यहां से जो बोला जाता है वही लाउड स्पीकर पर बाहर सुनाई पड़ता है।उनकी हिम्मत कहां है कि वे मुझे सी.आई.ए.एजेंट कहें।
सवाल ः राजीव गांधी ने क्या सफाई दी ?
जवाब ः उन्होंने कहा कि पार्टी आपसे बहुत नाराज है।वे लोग भी नाराज हैं।इसलिए बोल रहे हैं।मैं इनसे कहूंगाा कि कम बोलें।मैंने उनसे कहा कि वे दस गाली दे रहे थे,अब दो गाली देंगे।कोई भ्रम न रहे इसलिए साफ -साफ कहा कि जो लोग गाली दे रहे हैं वे मेरी देश भक्ति पर प्रश्न खड़े कर रहे हैं।जब देशप्रेम का सवाल आता है और जब भी आता है तो लोग जान की बाजी लगा देते हैं। अपना सिर कटा देते हैं और मैं भी अपनी देश भक्ति के लिए अंतिम दम तक ऐंड़ी जमा कर लड़ूंगा।
सवाल ः इस पर उन्होंने क्या कहा ?
जवाब ः राजीव गांधी ने कहा कि मैं इन लोगों को समझाऊंगा। मैंने उनसे कहा कि देखिए आपकी मां के साथ काम करते हुए कांग्रेस नामक मशीन को हमने चलाया है। इसका एक- एक नट- बोल्ट हम जानते हैं। मेरे जैसे सेकेंड रैंकर लोगों ने हेमवती नंदन बहुगुणा को भगा दिया क्योंकि वे यह चाहती थीं। वे नहीं बोलीं। हमलोगों ने ही यह काम किया।
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें