बुधवार, 20 जून 2018



स्वामी रामदेव यानी पतंजलि के बिस्किट
की अपेक्षा मुझे श्रीश्री रविशंकर के बिस्किट 
बेहतर लगे।हालांकि पतंजलि के बिस्किट खराब नहीं हैं।
  कुछ अन्य लोगों को भी बेहतर लगे होंगे।
यह खबर जब पतंजलि प्रबंधन तक पहुंचेगी तो वह  अपने बिस्किट को बेहतर बनाने की शायद कोशिश करेगा ,ऐसी उम्मीद है।पर लगता है कि  पतंजलि की शिकायत शाखा अभी बहुत कमजोर है।बिस्किट तो एक उदाहरण है।अन्य सामग्री पर भी देर -सवेर यह बात लागू हो सकती है।
  जहां एक तरफ इस देश में सरकारी अफसरों-कर्मचारियों  की मदद से देश भर में खाद्य,भोज्य पदार्थ,दवा तथा अन्य उपभोक्ता सामग्री को अधिक से अधिक मिलावटी व जहरीला बनाने की होड़ लगी हुई  है,वहीं रामदेव और रवि शंकर मानवता की सेवा कर रहे हैं।
मैंने कभी नहीं कहा कि रामदेव योग गुरू से व्यापारी-उद्योगपति बन गए हैं।यही बात मैं श्री श्री के बारे में भी नहीं कह सकता।
 आप मिलावटी , जहरीली सामग्री खा-पीकर जितना भी योग प्रणायाम करेंगे,आपको कोई लाभ नहीं मिलेगा।
मुझे लगता है कि राम देव और रवि शंकर इसी बात को ध्यान में रखकर उत्पादन के इस क्षेत्र में आए हैं।
यदि उत्तर प्रदेश सरकार ने नियम को शिथिल करके नोयडा में स्वामी राम देव की कंपनी को मेगा फूड पार्क के लिए जमीन दे दी है तो उसकी सराहना होनी चाहिए न कि आलोचना। मेगा फूड पार्क से आसपास के किसानों को भी लाभ होगा।
एक बात तो तय है कि स्वामी राम देव पटना जंक्शन के  दूध मार्केट की तरह कभी जहरीली पनीर तो नहीं ही बेचेंगे।
पर हां,पतंजलि प्रबंधन जो सामग्री आउटसोर्स करके तैयार करवाता है,उसकी गुणवत्ता पर उसे तत्काल ध्यान देना चाहिए।क्योंकि पतंजलि का एलोवेरा,जो मैं रोज लेता हूं, मुझे  पहले जैसा अब अच्छा नहीं लगता।
पतंजलि का आटा लेना तो मैंने पहले ही छोड़ दिया है।
पर जो अन्य सामग्री मैं लेता हूं,उसके बारे में कोई शिकायत नहीं है।
   

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