सपा के एम.एल.सी. सुनील यादव ने आरोप लगाया है कि मुख्यमंत्री आदित्यनाथ के कहने पर अखिलेश जी के बंगले में तोड़फोड़ हुई है।
उधर उस टूटे- फूटे बंगले की वीडियो रिकॉर्डिंग को कुछ देर के लिए यह लगता है कि किसी विदेशी लुटेरे की बेरहम लूट की तरह ही भारत की इस संपत्ति को नष्ट-भ्रष्ट किया गया है। मानो इस महल में किसी गड़े खजाने की खोज हो रही हो!
दरअसल यह सब सुप्रीम कोर्ट के आदेश के परिणामस्वरूप सामने आया है। यदि सुप्रीम कोर्ट ने कड़ा आदेश नहीं दिया होता तो न तो पूर्व मुख्यमंत्री लोग सरकारी आवास खाली करते और न ही अपनी खींझ बंगले पर उतारते। पता लगाया जाना चाहिए कि किसी अन्य पूर्व मुख्यमंत्री के बंगले से भी कोई सामान गायब हुआ है या नहीं।
यह तोड़फोड़ दरअसल सुप्रीम कोर्ट के आदेश को मुंह चिढ़ाने के लिए की गयी है। यह अदालत की अवमानना है। इसलिए सुप्रीम कोर्ट को चाहिए कि एक विशेष जांच दल बनाकर इसकी जांच कराए। साथ ही सपा नेता सुनील यादव के आरोप की भी जांच हो कि इसमें मुख्यमंत्री या उनके अफसरों का तो कोई हाथ नहीं !
जांच से दूध का दूध और पानी का पानी हो जाएगा।
अन्यथा सुप्रीम कोर्ट को भविष्य में ऐसा कोई आदेश देने के पहले सोच लेना चाहिए ताकि सरकार यानी जनता के 48 करोड़ रुपए का नुकसान न हो। या फिर सुप्रीम कोर्ट अगली बार से अदालत के कमिश्नर की निगरानी में ऐसे बंगले खाली कराए ताकि कोई राजनीतिक प्रतिद्वंद्वी उस नेता को बदनाम न कर सके जैसा आरोप अखिलेश यादव लगा रहे हैं।
10 जून 2018
उधर उस टूटे- फूटे बंगले की वीडियो रिकॉर्डिंग को कुछ देर के लिए यह लगता है कि किसी विदेशी लुटेरे की बेरहम लूट की तरह ही भारत की इस संपत्ति को नष्ट-भ्रष्ट किया गया है। मानो इस महल में किसी गड़े खजाने की खोज हो रही हो!
दरअसल यह सब सुप्रीम कोर्ट के आदेश के परिणामस्वरूप सामने आया है। यदि सुप्रीम कोर्ट ने कड़ा आदेश नहीं दिया होता तो न तो पूर्व मुख्यमंत्री लोग सरकारी आवास खाली करते और न ही अपनी खींझ बंगले पर उतारते। पता लगाया जाना चाहिए कि किसी अन्य पूर्व मुख्यमंत्री के बंगले से भी कोई सामान गायब हुआ है या नहीं।
यह तोड़फोड़ दरअसल सुप्रीम कोर्ट के आदेश को मुंह चिढ़ाने के लिए की गयी है। यह अदालत की अवमानना है। इसलिए सुप्रीम कोर्ट को चाहिए कि एक विशेष जांच दल बनाकर इसकी जांच कराए। साथ ही सपा नेता सुनील यादव के आरोप की भी जांच हो कि इसमें मुख्यमंत्री या उनके अफसरों का तो कोई हाथ नहीं !
जांच से दूध का दूध और पानी का पानी हो जाएगा।
अन्यथा सुप्रीम कोर्ट को भविष्य में ऐसा कोई आदेश देने के पहले सोच लेना चाहिए ताकि सरकार यानी जनता के 48 करोड़ रुपए का नुकसान न हो। या फिर सुप्रीम कोर्ट अगली बार से अदालत के कमिश्नर की निगरानी में ऐसे बंगले खाली कराए ताकि कोई राजनीतिक प्रतिद्वंद्वी उस नेता को बदनाम न कर सके जैसा आरोप अखिलेश यादव लगा रहे हैं।
10 जून 2018
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