कश्मीर में पाकिस्तान अघोषित युद्ध लड़ रहा है।
कोई एक देश किसी दूसरे देश के खिलाफ घोषित या अघोषित युद्ध करता है
तो दूसरे देश की सरकार और जनता क्या करती है ?
जम कर जवाब देती है।
पर अपने देश में क्या हो रहा है ?कौन क्या कर रहा है ?
यह गौर से देखना है और उसके अनुसार अपनी रणनीतियां बनानी है।
दरअसल बंगला देश के निर्माण के बाद पाकिस्तान के राष्ट्रपति जुल्फीकार अली भुट्टो ने कहा था कि भारत ने हमें एक घाव दिया है,हम उसे हजार घाव देंगे।
पाकिस्तान उसी लक्ष्य पर काम करता रहा है।
यदि वह कश्मीर में सफल हो गया तो उसका रुख केरल और पश्चिम बंगाल की ओर हो सकता है।
उन राज्यों में कुछ राजनीतिक दल पाकिस्तान के लिए अनुकूल पृष्ठभूमि तैयार कर रहे हैं।
भारत के देशप्रेमियों के साथ दिक्कत यह है कि उन्हें एक साथ कई मोर्चों पर लड़ना पड़ रहा है।
भीतर के जयचंदों के खिलाफ भी और बाहर के हमलावरों के खिलाफ भी।
ऐसे में इस देश को ‘टुकड़े-टुकड़े गिरोह’ से कैसे बचाना है,यह सोचना हर देशभक्त नागरिक का कत्र्तव्य है।यह एक कठिन समय है।ऐसे समय में ही अनेक लोगों की पहचान हो जाती है।
1962 में जब चीन ने हम पर हमला किया था,तब भी अनेक लोगों की पहचान हो गयी थी।
कोई एक देश किसी दूसरे देश के खिलाफ घोषित या अघोषित युद्ध करता है
तो दूसरे देश की सरकार और जनता क्या करती है ?
जम कर जवाब देती है।
पर अपने देश में क्या हो रहा है ?कौन क्या कर रहा है ?
यह गौर से देखना है और उसके अनुसार अपनी रणनीतियां बनानी है।
दरअसल बंगला देश के निर्माण के बाद पाकिस्तान के राष्ट्रपति जुल्फीकार अली भुट्टो ने कहा था कि भारत ने हमें एक घाव दिया है,हम उसे हजार घाव देंगे।
पाकिस्तान उसी लक्ष्य पर काम करता रहा है।
यदि वह कश्मीर में सफल हो गया तो उसका रुख केरल और पश्चिम बंगाल की ओर हो सकता है।
उन राज्यों में कुछ राजनीतिक दल पाकिस्तान के लिए अनुकूल पृष्ठभूमि तैयार कर रहे हैं।
भारत के देशप्रेमियों के साथ दिक्कत यह है कि उन्हें एक साथ कई मोर्चों पर लड़ना पड़ रहा है।
भीतर के जयचंदों के खिलाफ भी और बाहर के हमलावरों के खिलाफ भी।
ऐसे में इस देश को ‘टुकड़े-टुकड़े गिरोह’ से कैसे बचाना है,यह सोचना हर देशभक्त नागरिक का कत्र्तव्य है।यह एक कठिन समय है।ऐसे समय में ही अनेक लोगों की पहचान हो जाती है।
1962 में जब चीन ने हम पर हमला किया था,तब भी अनेक लोगों की पहचान हो गयी थी।
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