महाभारत काल में अर्जुन के पोते परीक्षित को वेद व्यास के पुत्र शुकदेव ने जो कथा सुनाई थी, वह शुक सागर नामक प्राचीन ग्रंथ में संग्रहीत है। शुक देव मुनि राजा परीक्षित को बताते हैं कि कलियुग में क्या- क्या होने वाला है। तब कैसा समाज होगा और राजा कैसे -कैसे होंगे।
लगे हाथ उन्होंने यह भविष्यवाणी भी कर दी थी, एक समय ऐसा भी आयेगा, जब राजा ही अपनी प्रजा को लूटेगा। मध्य युगीन राजाओं के बारे में तो ऐसा नहीं सुना गया कि वे अपनी ही प्रजा को लूटते थे। यह जरूर सुना गया कि उनमें से कुछ शासक पराजित राज्य की प्रजा को जरूर लूटते थे। पर, आधुनिक लोकतांत्रिक भारत के कुछ शासकों के बारे में जरूर यह खबर आती रहती है कि किस तरह वे अपनी ही जनता के विकास और कल्याण के लिए आवंटित पैसों को लूट कर अपने घर भर रहे हैं।
पर्यावरण दिवस के अवसर पर निराला बिदेसिया ने गत 5 जून को प्रभात खबर में लिखा है कि ‘आज जिन विषयों को लेकर दुनिया चिंतित है, उन सबकी चर्चा वेद व्यास ने महाभारत में हजारों साल पूर्व ही की थी। युधिष्ठिर मार्कण्डेय ऋषि से कलियुग में प्रलय काल और उसके अंत के बारे में जानना चाहते हैं।
इसका उत्तर मार्कण्डेय ऋषि देते हैं - ‘कलियुग के अंतिम भाग में प्रायः सभी मनुष्य मिथ्यावादी होंगे, उनके विचार और व्यवहार में अंतर आएगा। धरती पर मनुष्य अपनी करनी से प्रलय की संभावना बनाएगा।................।’
निराला ने थोड़ा लंबा लिखा है। अच्छा लिखा है। जिन्हें इच्छा हो, महाभारत और शुक सागर फिर से खुद ही पढ़ लें।
इन दिनों सोशल मीडिया पर आ रही सूचनाओं से कई अच्छी चीजों का पता चल रहा है तो कुछ लोगों की इस मनोभावना का भी पता चलता है कि उन लोगों को बेहतर समाज बनाने में योगदान करने में कोई रूचि नहीं है। उनकी प्राथमिकताएं अलग हैं।
शायद हमारे प्राचीन ऋषियों ने पहले ही यह सब सूंघ लिया था।
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