शनिवार, 30 जून 2018

नरेंद्र मोदी सरकार से मेरी एक खास उम्मीद थी

नरेंद्र मोदी सरकार से मेरी एक खास उम्मीद थी। पर,वह पूरी नहीं हुई। वह उम्मीद फिल्मों को लेकर थी। मैं उम्मीद करता था कि अब सिर्फ ‘बागवान’ और ‘नदिया के पार’ जैसी ही साफ-सुथरी फिल्में ही बनेंगी।

पर अब भी अतिशय सेक्स और अनावश्यक हिंसा से युक्त फिल्में धुआंधार बन रही हैं। सांस्कृतिक प्रदूषण फैलाने में इन फिल्मों का भी बड़ा हाथ है। सेंसर बोर्ड के जो  नियम हैं, वे साफ- सुथरी फिल्मों की ही इजाजत देते हैं। किन्तु मोदी सरकार सेंसर बोर्ड के नियमों को भी लागू नहीं करा पायी।संस्कार भारती जैसा संगठन चलाने वाला संघ क्या कर रहा है ? 

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