शुक्रवार, 8 जून 2018

भारत के ये भ्रष्ट गिद्ध अफसर, हिन्दू शरणार्थियों से लेते हैं घूस


केंद्रीय गृह मंत्रालय के एक वरीय सचिवालय सहायक को हाल में जोधपुर के एक होटल से गिरफ्तार किया गया। उसपर पाकिस्तान से आए हिंदू शरणार्थियों से रिश्वत लेने का आरोप है।

मनमोहन सरकार ने पाक में ‘जेहादियों’ के सितम से परेशान होकर भारत में आए 12 हजार 100 हिंदू शरणार्थियों को लंबी अवधि के लिए वीसा दिया था। वे राजस्थान में बसे हुए हैं। तब से यह काम जारी है। क्योंकि नये शरणार्थी भी आते रहते हैं। इसके लिए केंद्र सरकार के अफसर राजस्थान जाते रहते हैं। उनमें से कुछ अफसर उन दीन-हीन-बेबस-परेशान शरणार्थियों का काम भी तभी करते हैं जब उन्हें रिश्वत मिलती है।

इन भ्रष्ट गिद्धों को किस्मत के मारे शरणार्थियों पर भी कोई दया नहीं आती। जब उनपर भी दया नहीं आती तो यहां के लोगों के साथ ये गिद्धगण कैसा व्यवहार करते हैं, उनकी कल्पना आसान है। लोगबाग देख ही रहे हैं। झेल भी रहे हैं। दरअसल इस पूरे देश भर के भ्रष्ट अफसरों व कर्मचारियों का कमोवेश यही हाल है। अधिकतर सरकारी सेवक, सेवा को अधिकार मानकर सरकारी आदेशों को बेचते रहते हैं।

बिहार सहित देश के किस हिस्से के अधिकारी-कर्मचारी बिना रिश्वत का जनता का काम निःशुल्क कर देते हैं, यह जानने में मुझे रुचि रहती है।
किसी को उस पवित्र स्थान का पता हो तो लोगों को जाकर वहां फूल चढ़ाना चाहिए। क्योंकि मैं मानता हूं कि ईमानदार अफसर व कर्मचारी अब भी जहां -तहां मौजूद हैं। सत्ताधारी नेताओं के बीच भी कुछ ईमानदार लोग हैं। पर वे आम तौर पर निर्णायक नहीं हो पा रहे हैं।

जोधपुर की घटना सुन-जानकर एक बार फिर यह विचार मन में आया कि क्यों नहीं इस देश के आदर्शवादी और उत्साही नौजवान अखिल भारतीय स्तर पर स्टिंग आपरेशन दस्ते बना रहे हैं ? वे दस्ते ऐसे भ्रष्ट कर्मियों का स्टिंग करें और जनता के बीच उनका भंडाफोड़ करें? अब तो सोशल मीडिया भी ताकतवर होता जा रहा है।

इस काम में खतरा तो जरूर है। पर आज यदि कोई ईमानदारी से राजनीति भी करता है तो उसमें भी खतरा है। आर.टी.आई. कार्यकर्ताओं की हत्याओं की खबरें भी मिलती रहती हैं। फिर भी सूचना के अधिकार के क्षेत्र में काम बंद नहीं हुआ है। 

आजादी की लड़ाई के दिनों में क्या स्वतंत्रता सेनानियों के समक्ष कम खतरे थे ? मेरा मानना है कि इस स्टिंग आपरेशन के काम में जो लोग ईमानदारी से लगेंगे और बने रहेंगे तो उन्हें देर- सवेर जनता हाथों- हाथ लेगी। यदि वे चुनावी राजनीति भी करना चाहेंगे तो वंशवादी, जातिवादी, सम्प्रदायवादी तथा धन पशु उम्मीदवारों को भी देर -सवेर वे मात दे सकते हैं। 

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