अब तक मैं समझता था कि छोड़ते समय सरकारी बंगलों को नोंचने में हमारे बिहार के नेता ही आगे रहे हैं। पर उत्तर प्रदेश के एक पूर्व मुख्यमंत्री ने जब हाल में बंगला खाली किया तो मेरा विचार बदल गया।
लखनऊ के उस बंगले को तो इस तरह नोचा-खरोंचा गया है कि उसकी याद दशकों तक रहेगी। अस्सी के दशक में मैं एक पत्रकार -सह -एम.एल.सी. के यहां गया था। उनके सरकारी मकान में दीवाल और छत को छोड़कर लगभग सारी चीजें उखाड़ ली गयी थीं। यहां तक कि बिजली की फिटिंग्स भी। उस सरकारी घर को जिस निवर्तमान विधायक ने खाली किया था, वे प्रगतिशील पार्टी के सदस्य थे।
बाद के वर्षों में तो एक पीठासीन अधिकारी ने मुझे बताया कि उनके सदन के एक निवर्तमान सदस्य सरकारी मकान खाली करते समय पानी की दो टंकियां भी अपने साथ लेते गए ताकि उन्हें वे अपने निजी घर में लगा सकें।
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