सोमवार, 9 अप्रैल 2018

  कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी के उपवास स्थल से सन 1984 के सिख संहार के आरोपियों सज्जन कुमार और जगदीश टाइटर को हटवा कर कांग्रेस ने आज एक अच्छा काम किया है।
कुछ साल पहले राहुल गांधी ने एक टी.वी. इंटरव्यू में यह स्वीकारा था कि उस दंगे में कांग्रेस के भी कुछ लोग शामिल थे।उस समय तो नाम नहीं लिया था,पर आज देश ने  यह जान लिया कि राहुल का इशारा किनकी ओर था।
  यह उसी तरह का अच्छा काम है जिस तरह कभी राहुल गांधी ने सजायाफ्ता नेता पक्षी अध्यादेश की काॅपी फाड़ कर किया था।
ऐसे कदमों से किसी पार्टी की छवि बेहतर बनती है।
अब कांग्रेस ने  गुजरात दंगों के ं आरोपितों और सजायाफ्ताओं के खिलाफ बोलने का नैतिक अधिकार पा लिया है।
पर सवाल है कि क्या भ्रष्टाचार, घोटालों और महा घोटालों के आरोपित कांग्रेसी नेताओं  को भी इसी तरह धरना स्थलों से कभी हटाया जाएगा जब भ्रष्टाचार को लेकर धरना-अनशन  हो रहा होगा ? हालांकि इस मर्ज की व्यापकता को देखते हुए यह काम तो बड़ा कठिन लगता है।लेकिन वह काम कभी यदि हो पाया  तो कांग्रेस उड़ान भरने लगेगी।
पर सवाल यह भी है कि कोई अपने पैरों में कुल्हाड़ी कैसे मार सकता है ?
  हालांकि यदि ऐसा कभी हुआ तो उसके बाद तो  नीरव मोदी तथा दूसरे घोटालेबाजों को लेकर मोदी सरकार  के खिलाफ भी बोलने का नैतिक हक  कांग्रेस को  मिल जाएगा।
  पर इसमें एक और दिक्कत है।सी.बी.आई ने नीरव मोदी के खिलाफ गैर जमानती वारंट अदालत से जारी करवा दिया है।
पर कांग्रेस के शासन काल में सी.बी.आई.ने ऐसा  कोई वारंट कभी बोफर्स दलाल क्वात्रोचि के खिलाफ जारी नहीं करवाया था।जबकि, उसी शासन काल में इस देश के आयकर  ट्रिब्यूनल ने जनवरी, 2011 में कहा था कि क्वात्रोचि को बोफर्स की दलाली में 41 करोड़ रुपए मिले हैं।इसलिए उस पर भारत सरकार का टैक्स बनता है।

  

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