भाजपा सांसद और पूर्व मुख्य मंत्री रमेश पोखरियाल तथा उनकी बिटिया डा.श्रेयसी निशंक बधाई के पात्र हैं।
श्रेयसी ने विदेश की नौकरी का लोभ छोड़कर भारत मेें काम करना स्वीकार किया और वह भी सेना में।बतौर कप्तान आर्मी मेडिकल कोर ज्वाइन किया है।
दूसरी ओर आज इस देश का शायद ही कोई नेता चाहता है कि उनकी संतान सेना में नौकरी करे जबकि देश पर कई तरफ से खतरा है। किसी बड़े नेता की संतान सेना में हो तो उसकी जानकारी जरूर दीजिएगा।उन्हें भी धन्यवाद दे दूंगा।
दूसरी तरफ अधिकतर नेतागण आज यह जरूर चाहते हंै कि उनकी संतान को 25 की उम्र होते ही एम.पी.-एम.एल.ए.का टिकट मिल जाए और उसके बाद सत्ता की बड़ी से बड़ी मलाईदार कुर्सी।
इस उपलब्धि के लिए वे न सिर्फ पार्टी का त्याग करने को तैयार रहते हैं बल्कि उन मूल्यों का भी जिनके पालन करने का वे दावा करते कभी नहीं थकते थे।
जब समाज को दिशा देने का दावा करने वालों का यह हाल है कि आम भारतीयों का क्या ?
नतीजतन आज भारतीय सेना में अफसरों की भारी कमी हो रही है।
श्रेयसी ने विदेश की नौकरी का लोभ छोड़कर भारत मेें काम करना स्वीकार किया और वह भी सेना में।बतौर कप्तान आर्मी मेडिकल कोर ज्वाइन किया है।
दूसरी ओर आज इस देश का शायद ही कोई नेता चाहता है कि उनकी संतान सेना में नौकरी करे जबकि देश पर कई तरफ से खतरा है। किसी बड़े नेता की संतान सेना में हो तो उसकी जानकारी जरूर दीजिएगा।उन्हें भी धन्यवाद दे दूंगा।
दूसरी तरफ अधिकतर नेतागण आज यह जरूर चाहते हंै कि उनकी संतान को 25 की उम्र होते ही एम.पी.-एम.एल.ए.का टिकट मिल जाए और उसके बाद सत्ता की बड़ी से बड़ी मलाईदार कुर्सी।
इस उपलब्धि के लिए वे न सिर्फ पार्टी का त्याग करने को तैयार रहते हैं बल्कि उन मूल्यों का भी जिनके पालन करने का वे दावा करते कभी नहीं थकते थे।
जब समाज को दिशा देने का दावा करने वालों का यह हाल है कि आम भारतीयों का क्या ?
नतीजतन आज भारतीय सेना में अफसरों की भारी कमी हो रही है।
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