बुधवार, 18 अप्रैल 2018

 आई.पी.एस.अफसर विवेक कुमार के ठिकानों पर विशेष निगरानी इकाई ने कल छापे मारे ।उस अफसर पर एक दारोगा की पत्नी ने गंभीर आरोप लगाया था।
आरोप है कि थानेदार के रूप में पोस्टिंग को लेकर उस दारोगा से विवेक ने लाखों रुपए रिश्वत ले ली थी।दारोगा ने बाद में आत्म हत्या कर ली थी। 
  दरअसल थानेदारों की मनमानी पोस्टिंग को लेकर हमेशा शिकायतें आती रहती हैं।अब राज्य सरकार को पोस्टिंग की कोई बेहतर व्यवस्था करनी चाहिए ।
क्योंकि इसका सीधा संबंध आम अपराध से है।
 कुछ दशक पहले मेरा एक करीबी परिजन बिहार पुलिस की सेवा में था।वह बारी -बारी से दस एस.पी.के तहत काम कर चुका था।एक बार उसने मुझे बताया था कि उन  दस में से 
सिर्फ एक एस.पी. डा.परेश सक्सेना को छोड़कर सभी नौ ने पोस्टिंग के लिए मुझसे रिश्वत ली थी।
दूसरी ओर बिना पैसे के सक्सेना साहब ने मुझे अपने जिले के सबसे महत्वपूर्ण थाने का प्रभारी बनाया था।  
  इस परिस्थिति में राज्य सरकार को चाहिए कि वह ऐसी व्यवस्था करे ताकि थानेदार की पोस्टिंग में एस.पी.की मनमानी न चले।क्योंकि अब तो दारोगा को आत्म हत्या तक करनी पड़ रही है।भारी घूस देकर जो थानेदार बनेगा,वह अपराध करवा कर या फिर उसे बढ़ावा देकर ही  तो नाजायज पैसे  कमाएगा।
  एक समय कहा जाता था कि राज्य में तो दो ही लोगों के पास असली ताकत है।एक दारोगा और दूसरे मुख्य मंत्री।
अंग्रेजों के जमाने में भी पूर्व मुख्य मंत्री दारोगा प्रसाद राय के पिता ने उनका नाम दारोगा इसलिए रखा था कि उनकी इच्छा थी कि उनका  बेटा बड़ा होकर दारोगा बने।यह और बात है कि वे मुख्य मंत्री बन गए।


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