पिछले आम चुनाव में किसे जीत जाने की
आप भविष्यवाणी कर रहे थे ?
उससे पहले के चुनावों में किसे जिता
रहे थे आप ?
और वास्तव में विजयी कौन हुआ ?
उसे आप याद कर लेंगे तो बिहार चुनाव को लेकर
भविष्यवाणी करने से पहले आप दो बार जरूर
सोचेंगे।
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कई आम चुनावों से मैं एक काम करता रहता हूं।
मतदान पूर्व रिजल्ट को लेकर भविष्यवाणियों को छिटपुट ढंग से अपनी डायरी में नोट कर लेता रहा हूं।
रिजल्ट के बाद उसे पढ़ता हूं।
सब तो नहीं,लेकिन अधिकतर पत्रकारों,बुद्धिजीवियों व विश्लेषणकत्र्ताओं की भविष्यवाणियों में एक खास पैटर्न देखा जाता है।
खुद जैसा रिजल्ट वे चाहते हैं, सार्वजनिक रूप से यह भविष्य
वाणी कर देते हैं कि फलां दल या गठबंधन ही सत्ता में आ रहा है।
इसमें राष्ट्रीय स्तर का एक नामी पत्रकार अपवाद है।
कुछ और भी अपवाद होंगे,पर मैं उस खास पत्रकार की भविष्यवाणी को अक्सर सही पाता हूं।
वह पत्रकार जिस विचारधारा का है या उसका जिस तरफ खास कारणों से झुकाव रहता है,वह बात पूरा देश जानता है।
पर आश्र्चजनक रूप से उसकी भविष्यवाणी का उसके झुकाव से कोई तालमेल नहीं होता।
मैं बिहार चुनाव के रिजल्ट को लेकर भी उसके लेख की प्रतीक्षा कर रहा हूं।
क्या बाकी लोगों में भी ऐसी वस्तुपरकता नहीं आ सकती ?
कुछ में तो चाहते हुए भी नहीं आ सकती।
उनकी अपनी- अपनी मजबूरियां है।
पर जिनकी कोई मजबूरी नहीं है,उनके लिए बिहार चुनाव एक मौका है।
इस अवसर पर वे अपनी साख बचा सकते हैं और कुछ अन्य लोग पहले से बिगड़ी अपनी साख में सकारात्मक सुधार भी कर सकते हैं।
वे लोग यदि पिछले चुनावों की अपनी भविष्यवाणियां याद कर लें तो उनमें ऐसा परिवत्र्तन आ सकता है ।
इससे लोग उन्हें अब अभियानी न कहकर वस्तुपरक कहेंगे।
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--सुरेंद्र किशोर--12 अक्तूबर 20
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