इस देश के कई निजी टी.वी.चैनलों पर गेस्ट के रूप में अक्सर उपस्थित होने वाले कई व्यक्ति खुलेआम संविधान विरोधी बातंे करते रहते हैं।
उनमें से कुछ राष्ट्रीय एकता और अखंडता के खिलाफ भी
बेधड़क बोलते हैं।
वे ‘‘टुकड़े -टुकड़े गिरोह’’ के खास समर्थक लगते हैं।
उनकी ऐसी टिप्पणियों से देश भर में फैले भारत विरोधी व संविधान विरोधी लोगों को काफी बल मिलता है-खासकर कम उम्र के लोगों को।
जिन्हें बल मिलता है , उनमें वे लोग प्रमुख हैं जो हथियारबंद क्रांति या जेहाद के काम में लगे हुए हैं।
अब राजद्रोह के बारे में सुप्रीम कोर्ट के ऐतिहासिक निर्णय के संबंधित पैराग्राफ को पढ़ लीजिए।
उसके बाद टी.वी.चैनलों के कुछ अतिथियों की उत्तेजक टिप्पणियों को याद कीजिए।
याद रहे कि 20 जनवरी, 1962 को सुप्रीम कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश बी.पी.सिन्हा की अध्यक्षता वाले संविधान पीठ ने कहा कि
‘देशद्रोही भाषणों और अभिव्यक्ति को सिर्फ तभी दंडित किया जा सकता है,जब उसकी वजह से किसी तरह की हिंसा, असंतोष या फिर सामाजिक असंतुष्टिकरण बढ़े।’
यानी उपर्युक्त टिप्पणियों को वाणी की स्वतंत्रता के नाम पर नजरअंदाज नहीं किया जा सकता।
हाल के वर्षों में सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि वह राजद्रोह के मामले में सुप्रीम कोर्ट के 1962 के निर्णय पर अब भी कायम है।
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--सुरेंद्र किशोर--14 अक्तूबर 20
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