रविवार, 18 अक्तूबर 2020

 1967 के मुख्य मंत्री महामाया बाबू ने निर्दलीय 

उम्मीवार के रूप में ही विधान सभा का चुनाव 

पटना पश्चिम से जीता था

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    --सुरेंद्र किशोर-

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सन 1967 में मुख्य मंत्री बने महामाया प्रसाद सिन्हा ने तब निर्दलीय उम्मीदवार के रूप में बिहार विधान सभा का चुनाव जीता था।

बाद में वे जनक्रांति दल में शामिल हो गए थे।

 रामगढ़ के राजा कामाख्या नारायण सिंह जनक्रांति दल के सुप्रीमो थे।

   महामाया प्रसाद सिन्हा ने 1967 में पटना पश्चिम में  तत्कालीन मुख्य मंत्री व कांग्रेसी नेता के.बी.सहाय को हराया था।

  उससे पहले 1957 में महामाया बाबू ने बिहार के दिग्गज कांग्रेसी नेता महेश प्रसाद सिन्हा को मुजफ्फरपुर विधान सभा क्षेत्र में पराजित किया था।

इस तरह वे बिहार की राजनीति के ‘जाइंट कीलर’ कहलाए।

महामाया बाबू अविभाजित सारण जिले के जमींदार परिवार से आते थे।

  स्वतंत्रता सेनानी महामाया बाबू कभी बिहार कांग्रेस कमेटी के अध्यक्ष रह चुके थे।

बाद में उन्होंने कांग्रेस छोड़ दी थी।

  आजादी के बाद भी उन्होंने अपनी निजी संपत्ति बढ़ाने के की जगह घटाई।

उनका राजनीतिक और गैर राजनीतिक हलकों में बड़ा सम्मान था।

  1967 में के.बी.सहाय के खिलाफ रोमांचक चुनावी मुकाबले  में अन्य दलों ने महामाया बाबू का समर्थन किया था।

किसी अन्य दल के कोई उम्मीदवार उस क्षेत्र में नहीं थे।

महामाया बाबू को 34034 वोट मिले जबकि के.बी.सहाय को 13305 मत मिले थे।

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अक्तूबर 2020


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