शुक्रवार, 2 अक्टूबर 2020

     विरोधियों के दोहरा मापदंड 

    से बढ़ रही है भाजपा

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सन 2002 में गुजरात के गोधरा में ट्रेन में 58 कार सेवकों को पेट्रोल डाल कर जिंदा जला दिया गया था।

 आपने इस देश के कितने तथाकथित सेक्युलर नेता व बुद्धिजीवियों -लेखकों को उस जघन्य नर संहार की निंदा करते सुना ?

  हां,गोधरा कार सेवक दहन कांड की प्रतिक्रिया में जो बड़े पैमाने पर गुजरात दंगा हुआ,उसके खिलाफ जरूर वे जोर -जोर से आवाज उठाने लगे थे।

अच्छा किया जो उन लोगों आवाज उठाई।

पर गलत किया कि वे कार सेवक दहन कांड अपनी सुविधा के अनुसार भुला गए।

दोनों घटनाओं की समान रूप से निंदा करते तो भाजपा आगे नहीं बढ़ती।

  उल्टे मनमोहन सरकार के कार्यकाल में रेल मंत्रालय ने एक ऐसी बनर्जी जांच कमेटी बैठाई जिसकी यह रपट आई कि ट्रेन के भीतर ही स्टोव में आग लग गई और वे सब जल मरे।

जबकि बाद में सी.बी.आई.अदालत ने गोधरा कार सेवक दहन कांड के लिए फारूख और इमरान को आजीवन कारावास की सजा दी है।

  जिन्होंने गोधरा कार सेवक कांड तक की निंदा नहीं की,वही लोग बाबरी विध्वंस कांड मुकदमे के आरोपितों के कल रिहा हो जाने पर अदालत की घोर आलोचना कर रहे हैं।

हां, मथुरा की कृष्ण जन्मभूमि से ईदगाह हटाने की मांग के लिए जो याचिका दायर की गई थी,उसे कोर्ट ने हाल ही में खारिज कर दिया।

क्या इसके लिए किसी ‘सेक्युलर’ ने मथुरा कोर्ट की 

तारीफ की ?

   इसी तरह जहां बहुसंख्यक समाज के गुंडे किसी कमजोर वर्ग या अल्पसंख्यक की लड़की के साथ जघन्य अपराध करते हैं, वहां तो बडे़ -बड़े ‘सेक्युलर’ दल व नेता जोर- जोर से आवाज उठाने लगते हैं।

  ठीक ही है।

जरूर उठाइए।

किंतु जहां अल्पसंख्यक समुदाय का कोई समाजविरोधी तत्व बहुसंख्यक समाज की किसी महिला के साथ जघन्य कांड करता है, तो वहां ‘सेक्युलर’ नेताओं व बुद्धिजीवियों की बोलती बंद हो जाती है।

  तथाकथित सेक्युलर दलों व बुद्धिजीवियों के इसी दोहरे मापदंड के कारण भाजपा इस देश में बढ़ रही है।

वे बौद्धिक व राजनीतिक रूप से बेईमान लोग  कब यह बात स्वीकार करेंगे कि अपराधी व सांप्रदायिक तत्व किसी खास समुदाय या जाति में ही नहीं पाए जाते ?

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हत्यारा और बलात्कारी जिस किसी समुदाय या जाति का हो,उसके खिलाफ सब मिलकर समान रूप से जोरदार आवाज उठाओ।

उन्हें कठोर सजा दिलवाओ।

यदि यह काम ‘सेक्युलर’ दल व बुद्धिजीवी करने लगें तो भाजपा नहीं बढ़ेगी।

पर क्या कभी वे ऐसा करेंगे ?

लगता तो नहीं है।

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--सुरेंद्र किशोर-1 अक्तूबर 20 


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