शुक्रवार, 30 अक्टूबर 2020

   अत्यंत थोड़े से अपवादों को छोड़े दें तो आजादी के 

बाद इस देश और प्रदेश के अधिकतर मतदाताओं ने 

हमेशा ही होशियारी से सही मतदान ही किया है।

  जनता तब भी सही थी जब उसने 1971 में इंदिरा 

गांधी को जिताया और 1977 में उन्हें हराया।

   बिहार के अधिकतर मतदाता तब भी सही थे जब

उन्होंने 1991 और 1995 में लालू प्रसाद को जिताया।

  अधिकतर जनता तब भी सही थी जब उसने 2005 में 

लालू प्रसाद के दल को बिहार की सत्ता से बाहर कर दिया।

  आज चाहे लोगबाग जो भी चुनावी अनुमान लगाएं, किंतु मेरा मानना है कि इस बार भी बिहार के अधिकतर मतदातागण सही चुनावी फैसला ही करंेगे।

  आम तौर पर ‘मौन’ आमलोग मतदान करने से पहले देश-प्रदेश का नफा-नुकसान अधिक देखते हैं।

दूसरी ओर, अधिकतर मुखर लोग खुद का नफा-नुकसान अधिक देखते हैं।

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---सुरेंद्र किशोर-15 अक्तूबर 20  


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