अपराध और अपराधियों के खिलाफ ‘होमियोपैथिक’
या ‘आयुर्वेदिक’ दवाओं से बिहार में भी अब काम नहीं
चलेगा।
उन्हें एलोपैथिक दवाएं चाहिए या फिर ‘मेजर’ सर्जरी।
चुनावों में आपराधिक पृष्ठभूमि के उम्मीदवारों की बढ़ती संख्या के कारण ऐसी स्थिति पैदा होने वाली है।
आने वाले दिन डरावने हो सकते हैं।
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--सुरेंद्र किशोर--17 अक्तूबर 20
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