जब कम खतरे में अधिक मुनाफा हो तो कैसे
थमेगा सरकारी दफ्तरों में भ्रष्टाचार ?
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स्टिंग आॅपरेशन की राह कारगर
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सुरेंद्र किशोर
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बिहार सरकार के निगरानी जांच ब्यूरो की पड़ताल के बाद हाल में यह पता चला है कि एक करोड़पति क्लर्क आालीशान माॅल का भी मालिक है।
आरोप है कि ग्रामीण कार्य विभाग के उस क्लर्क ने इसके अलावा भी काफी नाजायज संपत्ति बना रखी है।
ऐसे मामले आते ही रहते हैं।पर,भ्रष्टाचार नहीं रुक रहा है।क्योंकि भ्रष्टाचार की जड़ में कोई सरकार मट्ठा नहीं डाल रही है।उसकी डालियां काटी जा रही हैं।
इसी क्लर्क की काली कमाई क्या उसके ऊपर के अधिकारियों से उसकी सांठ गांठ के बिना संभव थी ?
बिलकुल नहीं।
यदि क्लर्क का नार्को-पाॅलीग्राफिक-ब्रेन मैपिंग टेस्ट कराया जाए तो वह यह तथ्य उगल देगा कि उसने नाजायज धनोपार्जन के लिए अपने ऊपर और नीचे के कितने अफसरों और सरकारी -गैर सरकारी लोगों से सहयोग लिया था।
यदि उन सबकी संपत्ति की जांच इस क्लर्क की जांच के साथ ही हो जाए और सब पर मुकदमा चलाया जाए तो भ्रष्ट प्रशासक डरेंगे।
यदि यह काम करने के लिए अभी कोई कानून उपलब्ध नहीं हो तो वैसा कानून बनाया जाना चाहिए।
इस देश यह आम धारणा बन चुकी है कि सरकारी भ्रष्टाचार कम खतरे और ज्यादा मुनाफे का धंधा है।
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और अंत में
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पटना जिले के बेलछी अंचल के राजस्व कर्मचारी को निलंबित कर दिया गया।
उस पर रिश्वतखोरी का आरोप है।
रिश्वत मांगने संबंधी ओडियो वायरल हुआ।
यानी, उस कर्मचारी की गिरफ्तारी तभी संभव हुई जब उसके खिलाफ स्टिंग आपरेशन हुआ।
जानकार लोग बताते हैं कि यदि स्टिंग आपरेशन्स को व्यापक बनाया जाए,तो सरकारी दफ्तरों के भ्रष्ट तत्वों में काफी भय पैदा होगा।
अभी निजी प्रयासों से ही छिटपुट स्टिंग हो रहे हैं।
क्या बिहार सरकार का निगरानी ब्यूरो खुद अपनी एक स्टिंग आपरेशन शाखा नहीं खोल सकता ?
वह शाखा गुप्त ढंग से अपना काम करे।
केंद्र सरकार का इंटेलिजेंस ब्यूरो और राज्य पुलिस का स्पेशल ब्रांच देशहित में गुप्त तरीके से बहुत सारी सूचनाएं एकत्र करता ही रहता है।
भ्रष्टाचार के खिलाफ कार्रवाई के लिए यदि लीक से हट कर भी कोई उपाय करना पड़े तो वह देशहित का ही काम होगा।क्योंकि सामान्य व परंपरागत उपायों से तो भ्रष्टाचार कम हो ही नहीं रहा है।
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साप्ताहिक काॅलम ‘कानांेकान’
प्रभात खबर,पटना
23 जनवरी 23
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