कर्पूरी ठाकुर के जन्म दिन पर
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सरकारी शिक्षिकाओं की सुविधा के
लिए कर्पूरी सरकार का फैसला
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सुरेंद्र किशोर
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मुंशीलाल राय सन 1977 में पहली बार जनता पार्टी के टिकट पर विधायक चुने गए थे।
बाद में तो वे मंत्री भी बने थे।
अब नहीं रहे।
उनकी पत्नी तब वैशाली जिले के एक सरकारी स्कूल में
शिक्षिका थीं।
मुंशीलाल जी उनकी बदली पटना के किसी स्कूल में कराना चाहते थे।
पर,तब तक जिला ट्रांसफर का कोई प्रावधान ही नहीं था।
मुंशीलाल जी ने इस संबंध में तत्कालीन मुख्य मंत्री कर्पूरी ठाकुर से बात की।
कर्पूरी जी ने तुरंत जिला ट्रांसफर का प्रावधान करवा दिया।
मुंशीलाल जी की पत्नी की पटना में बदली हो गई।
बाद में मुंशीलाल जी ने मुझसे कहा कि हमने प्रावधान करवा दिया है।आप भी अपनी पत्नी की बदली करवा लीजिए।
मेरी पत्नी उन दिनों सारण जिला स्थित मेरे पुश्तैनी गांव के पास के एक स्कूल में थीं।मैंने भी बदली करवा ली।
इसी तरह राबड़ी देवी की सरकार के कार्यकाल में सरकारी महिला शिक्षिकाओं के ‘कठिन दिनों’ को ध्यान में रखते हुए हर माह दो दिनों के एसपी.सी.एल.का प्रावधान किया गया।
इस प्रावधान के लिए मेरी पत्नी के मन में राबड़ी देवी के लिए अब भी सराहना का भाव मैं देखता हूं।
वह कहती हैं कि राबड़ी जी ने ही महिला कर्मचारियों के कष्ट को समझा।
सवाल है कि सन 1977 से पहले वाली सरकारों का ध्यान महिला शिक्षिकाओं की इन समस्याओं की ओर क्यों नहीं था ?
जब एक ही जिले में पद उपलब्ध हैं ही तो पति और पत्नी की अलग -अलग जिलों में तैनाती क्यों हो रही थी ?
सिर्फ इसलिए कि उस पद का जिला काॅडर है ?
पिछली सरकारों का यह अमानवीय व्यवहार था जिसकी ओर ध्यान दिलाने के साथ ही मुख्य मंत्री कर्पूरी ठाकुर ने उस अमानवीयता को समाप्त कर दिया था।यही बात राबड़ी सरकार पर लागू होती है।महिलाआंे के उनके ‘कठिन दिनों’ में राहत तभी मिली ,जब एक महिला मुख्य मंत्री बनीं।
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24 जनवरी 23
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