आज का चिंतन
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1.-जातीय-साम्प्रदायिक आग्रह-दुराग्रह,
2.-विचारधारा का बोझ,
3.-पैसे-पद का लोभ
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उपर्युक्त ‘त्रिदोष’ को आप कफ-पित्त-वात कह सकते हैं।
मुख्यतः ये ही ‘त्रिदोष’ मीडियाकर्मियों को पूरा सच लिखने-बोलने से रोकते हंै।
अपवादों की बात और है।
फिर भी ऐसे मीडियाकर्मियों से भले टुकड़ों में किंतु अधूरा सच तो हमें मिल ही जाता है।
कोई बात नहीं,हम अपने कौशल से उसे जोड़-घटा कर पूरा सच फिलहाल हासिल कर लेते हैं।
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सुरेंद्र किशोर
24 जनवरी 23
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