इस देश के कुछ नेताओं और बुद्धिजीवियों के लिए प्रज्ञा सिंह ठाकुर के ‘कुबोल’ कोई समस्या नहीं।
नेताओं और बुद्धिजीवियों के दूसरे हिस्से के लिए ‘‘गजवा ए हिन्द’’ कोई समस्या नहीं।
जबकि, देश की एकता,लोकतांंित्रक-व्यवस्था और सुख -शांति के लिए हर नागरिक को इन दोनों तरह की प्रवृतियों के खिलाफ उठ खड़ा होना चाहिए।
पर, वोट बैंक की राजनीति जो न कराए !!
इसे इस देश का दुर्भाग्य ही कहेंगे।
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7 जनवरी 23
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