शुक्रवार, 6 जनवरी 2023

     टी.वी.चैनलों के बारे में दो शब्द

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        सुरेंद्र किशोर

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 कोई यदि मुझसे पूछे कि निजी इलेक्टा्रॅनिक मीडिया का कौन सा कार्यक्रम

 आपको अच्छा लगता है ?

कोई एक कार्यक्रम ?

मैं कहूंगा-- ‘आप की अदालत।’

 और सबसे खराब ?

मेरा जवाब होगा--किसी चैनल पर आठ या दस......... को एक साथ बैठा दिए जाएं 

और उन्हें झांव-झांव और कांव -कांव करने के लिए आपस में भिड़ा दिया जाए।

ऐसे में अधिकतर ‘अतिथियों’ की अधिकांश बातें दर्शक-श्रोता नहीं सुन पाते।

 रजत शर्मा की स्क्रीन पर और स्क्रीन से बाहर भी शालीन आवाज सुनना अच्छा लगता है,

इसलिए भी।

‘आप की अदालत’ के शुरूआती दिनों में वे मुझे भी अपनी शालीन आवाज में कभी-कभी फोन किया करते थे।

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सन 2014 के लोस चुनाव से ठीक पहले अर्नब गोस्वामी ने राहुल गांधी का एक लंबा इंटरव्यू लिया था।

तब तक अर्नब अच्छा-खासा रिसर्च करते थे-टिम सेबेस्टीयन(बी.बी.सी.) की झलक मिलती थी।

 मेरा अनुमान है कि उस एक इंटरव्यू मात्र से कांग्रेस व राहुल जी का काफी राजनीतिक और चुनावी नुकसान हो गया होगा।

अब तो अपना नुकसान करने के लिए खुद राहुल जी ही काफी हैं।

 अर्नब ने अब अपनी भूमिका बदल ली है।

पेशेवर पत्रकार से अभियानी पत्रकार तक का सफर !

खैर, उनकी नई भूमिका से मुझे कोई शिकायत नहीं।

जिस तरह मुझे रविश कुमार से भी कोई शिकायत है।

दोनों अपने -अपने काम में लगे रहें !!

मेरी शुभकामनाएं !

एक इच्छा जरूर रहती है कि अर्नब हो, या रविश वे जो भी सामग्री पेश करें,

वह रिसर्च करके करें और जो तथ्यपूर्ण हो-भले वह एकतरफा हो।

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 इतना ही कह सकता हूं कि इलेक्ट्रानिक मीडिया जैसे सशक्त माध्यम का इससे बेहतर इस्तेमाल हो सकता था।

कुछ अपवादों को छोड़कर सोशल मीडिया तो अराजक हो चुका है।

उससे कोई उम्मीद नहीं बनती।

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आज भी दूरदर्शन इस देश का वास्तविक प्रतिनिधि है,एक बात को छोड़कर।

वह यह कि बेचारा सरकार की कमियों और घोटालों की चर्चा नहीं कर सकता।

हाल में एक अच्छी बात मैंने देखी कि दूरदर्शन रिकाॅर्ड करने के बाद उसे संपादित करके ही स्क्रीन पर कोई डिबेट भेजता है।

संसद टी.वी.को भी लाइव डिबेट नहीं दिखाना चाहिए।

लाइव दिखाने की परंपरा शुरू होने के बाद पीठासीन अधिकारियों को एक बड़े अधिकार से अघोषित तौर पर ‘‘वंचित’’ कर दिया गया है।

वह यह कि वे किसी सांसद, मंत्री या प्रधान मंत्री की अवांछित टिप्पणी को कार्यवाही से निकाल सकते हैं।

अरे भई, जब दुनिया ने पहले ही देख-सुन ही लिया तो बाद में उसे कार्यवाही से निकाल कर आप 

क्या कर लेंगे ?

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5 जनवरी 23






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