आटा या जेहाद ?
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पाकिस्तानी शासकों को अपने नागरिकों के लिए आटा
चाहिए या भारत सहित पूरी दुनिया में जेहाद ?
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सुरेंद्र किशोर
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पाकिस्तान के पी.एम.ने यह स्वीकार किया है कि भारत से जंग लड़ने के कारण ही हमें कंगाली मिली है।
हालांकि शहबाज शरीफ कश्मीर का मुद्दा फिर भी छोड़ना नहीं चाहते।यानी, उन्हें जेहाद, आटा की अपेक्षा अधिक पसंद है।
इधर भारत की कोई भी सरकार कश्मीर आपको देने वाली है नहीं।
नतीजा यह होगा कि पाकिस्तान , कश्मीर तथा भारत की मुख्य भूमि पर अपने जेहादी भेजना बंद नहीं करेगा।
फिलहाल भारत के आतंकवादी संगठन पी.एफ.आई.ने भी हथियारों के बल पर सन 2047 तक भारत को इस्लामिक देश बना देने का संकल्प कर रखा है।
इसके लिए वह हथियार भी बांट रहा है।उसको पाक और भारत के भी कई तथाकथित सेक्युलर दलों और बुद्धिजीवियों का समर्थन हासिल है।
इस माहौल में नरेंद्र मोदी के और भी मजबूत होने से भला कौन रोक सकता है ?
याद रहे कि हमारे देश के कुछ नेताओं व बुद्धिजीवियों को तुलसी की चैपाई पर तो सख्त एतराज है,जरूर एतराज कीजिए,पर वे पी.एफ.आई. के हथियार- वितरण- कार्यक्रम-की चर्चा तक नहीं करते न ही उनके 2047 के लक्ष्य की।
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इस बीच पाक टी.वी.चैनलों को देखने से यह लगता है कि वहां की मुस्लिम युवा पीढ़ी का एक हिस्सा भारत की तरह ही आधुनिक बनकर प्रगति करना चाहता है।
यानी, वहां भी आंतरिक कशमकश है।
आबादी के उस हिस्से के लिए ‘आटा’ अधिक महत्वपूर्ण है।
आटा तो एक प्रतीक है।
इधर प्रतिबंधित पी.एफ.आई.भी यह स्वीकार करता है कि भारत के मुसलमानों में से 10 प्रतिशत भी अभी उसके साथ नहीं हैं।
हां,फिर भी भारत को पाॅपुलर फं्रट आॅफ इंडिया पाकिस्तान,सिरिया,अफगानिस्तान बनाने पर अमादा है।इन देशों में उपद्रव व कंगाली के अलावा और क्या है ?
शाहीन बाग आंदोलन पी.एफ.आई.ने ही किया था।याद कीजिए कि विदेशी फंडिंग से हुए उस आंदोलन के प्रति समर्थन जताने कितने सेक्युलर नेता शाहीन बाग पहुंचे थे।
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कुल मिलाकर स्थिति यह है कि अब तो पाक व भारत के तरक्कीपसंद व शांतिप्रिय मुस्लिम ही अगले खतरों से
इन देशों को बचा सकते हैं।
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18 जनवरी 23
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