गुरुवार, 19 जनवरी 2023

 कानोंकान

सुरेंद्र किशोर

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आपराधिक विवरण छपवाने के आयोग के आदेश का उलंघन जारी

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 चुनाव आयोग का यह पुराना आदेश है।इसके अनुसार उम्मीदवारों को अपने आपराधिक रिकाॅर्ड का विवरण तीन बार समाचार पत्रों में छपवाना होगा।

नाम वापसी की आखिरी तारीख बीत जाने के बाद और मतदान के दिन से पहले तक तीन बार छपवाना होगा।

मुख्य चुनाव आयुक्त राजीव कुमार ने हाल में भी इस आदेश को दुहराया है।

उन्होंने गुवाहाटी में कहा कि यह एक जरूरी आदेश है।

आपराधिक रिकाॅर्ड का विवरण समाचार पत्र,टेलीविजन चैनल और वेबसाइट पर  देना होगा।क्योंकि मतदाताओं को यह पता होना चाहिए कि जिसे वे वोट देने जा रहे हैं ,उसका आचरण कैसा रहा है।

 दरअसल चुनाव आयोग हर चुनाव से पहले इस तरह का निदेश राजनीतिक दलों और उम्मीदवारों को देता रहा है।

किंतु कुछ ही उम्मीदवार इसका पालन करते हैं।

अपवादस्वरूप ही कुछ उम्मीदवार अपने विवरण छपवाते हैं।चुनाव संपन्न हो जाने के बाद चुनाव आयोग इस बात की जांच नहीं कराता कि कितने उम्मीदवारों ने उसके इस निदेश का पालन किया है।कितने उम्मीदवारों ने ऐसे समाचार माध्यमों में विज्ञापन दिए ताकि अधिक से अधिक पाठकों और श्रोताओं तक 

जानकारी पहुंचे ?   

यह भी पता नहीं चल पाता कि किन उम्मीदवारों ने आयोग के इस स्पष्ट निदेश का पालन नहीं किया।यदि ऐसा हुआ तो उनके खिलाफ आयोग ने कौन सी कार्रवाई की ?

  यदि आयोग हर चुनाव के बाद ऐसा सर्वेक्षण करवाने लगे तो शायद कुछ फर्क पड़े।

जब तक इस आदेश का उलंघन करने वालों के खिलाफ सख्त कार्रवाई नहीं होगी तो तब तक इस आदेश का उलंघन होता रहेगा।

इस आदेश को सही ढंग से लागू करने के लिए आयोग एक उपाय कर सकता है।वह नामांकन पत्र के साथ ही विज्ञापन का खर्च अपने यहां जमा करा ले।आयोग ही मीडिया को विज्ञापन जारी करे।

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 गैर जरूरी लोकहित याचिकाएं

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सुप्रीम कोर्ट की ताजा पहल सराहनीय है।सबसे बड़ी अदालत अब कुछ लोकहित याचिकाओं को संबंधित उच्च न्यायालयों में ही दाखिल करने का निदेश देने लगी है।वर्षों से बड़ी संख्या में सुप्रीम कोर्ट में दाखिल हो रही लोकहित याचिकाओं से सुप्रीम कोर्ट परेशान रहा है।उससे उस पर काम का बोझ बढ़ता है।

  कई लोकहित याचिकाएं तो जरूरी होती है।सर्वोच्च न्यायालय में प्रस्तुत किए जाने के लायक भी होती हैं।वैसी याचिकाओं को सुप्रीम कोर्ट सुनवाई के लिए स्वीकार भी कर रहा है।

 सर्वोच्च न्यायालय पर अनावश्यक याचिकाओं का दबाव कम हो,इसको लेकर जरूरी कदम उठाना जरूरी था।

सिर्फ प्रचार के लिए दायर की जा रही याचिकाओं को खारिज करने का काम तो उच्च न्यायालयों को भी कर देना चाहिए।

इससे अन्य अति आवश्यक मुकदमों पर ध्यान देने का अदालतों को अधिकाधिक समय मिलेगा।

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लूट को ऐसे रोकें

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बिहार में काॅमन सर्विस सेंटर के संचालकों की जान अक्सर खतरे में आ जाती है।

आए दिन यह खबर आती रहती है कि संचालकों से पैसे लूट लिए गए।

कई बार संचालकों को लूट के दौरान गोली मार दी जाती है।

वर्षों से ऐसा हो रहा है।पर,इस समस्या का कोई स्थायी निदान नहीं हो पा रहा है।

बहुत पहले बिहार पुलिस की ओर से यह कहा गया था कि जिन्हें भी 25 हजार रुपए से अधिक की राशि बैंक में जमा करनी हो,वे पुलिस की मदद ले सकते हैं।

पता नहीं,कितने लोगों ने मदद ली।

पर,यदि ऐसी मदद लेने वालों से पुलिस आधिकारिक तौर पर कुछ शुल्क लेने लगे तो उससे पुलिस की आय भी बढ़ेगी और लोगों की जान भी बचेगी।

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भूली-बिसरी याद

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सन 1967 तक इस देश में लोक सभा और विधान सभाओं के चुनाव एक ही साथ होतेे थे।

1967 के चुनाव में बिहार में लोक सभा और विधान सभा के अलग -अलग रिजल्ट आए।

 लोक सभा की कुल 53 सीटों में से कांग्रेस को 31 सीटें मिलीं।लेकिन विधान सभा की 318 सीटों मंे से कांग्रेस को सिर्फ 128 सीटें ही मिलीं।

 यानी, कांग्रेस की सरकार बिहार में नहीं बनी।

 तब इंदिरा गांधी प्रधान मंत्री थीं।बिहार की कांग्रेसी सरकार के खिलाफ लोगों में जितना असंतोष था,उतना इंदिरा गांधी की केंद्र सरकार के खिलाफ नहीं था।

 एक ही साल पहले इंदिरा गांधी प्रधान मंत्री बनी थीं।

 लोक सभा और विधान सभा के चुनाव जब एक साथ हुए, फिर भी दो तरह के रिजल्ट आए।

अब तो लोक सभा और विधान सभाओं के चुनाव अलग- अलग समय पर हो रहे हैं।मुद्दे भी थोड़े अलग होते हैं।

इसलिए अगले किसी चुनाव में लोक सभा की तरह ही नतीजे विधान सभाओं में न आए तो उसमें कोई आश्चर्य नहीं होना चाहिए।

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और अंत में

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‘भारत जोड़ो यात्रा’ के दौरान लुधियाना-जालंधर के रास्ते में कांग्रेस सांसद संतोष सिंह का दिल का दौरा पड़ने से निधन हो गया।वे 76 साल के थे।

भारत के लोगों की औसत आयु 70 साल है।यह घटना राजनीतिक दलों को शिक्षा देती है।सबक यह है कि वे किसी यात्रा, आंदोलन या अभियान के दौरान एक खास बात पर ध्यान दें।

वे जरा संवेदनशीलता दिखाएं।उनमें किसी बुजुर्ग को शामिल करने के बारे में विचार कर लें।भीषण गर्मी या कड़ाके की ठंड के दौरान बुजुर्गों को किसी अभियान से मुक्त ही रखें,तो बेहतर होगा।

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प्रभात खबर-पटना 15 जनवरी 23    


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