‘‘पाकिस्तान अगर मंदिर और गुरुद्वारे नहीं तोड़ता तो वहां की जनता आज लंगर से अपना पेट भर पातीं।’’
---रेनी लिन
राष्ट्रीय सहारा
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दरअसल रेनी लिन ने महमूद गजनवी के दरबारी इतिहासकार उत्बी की किताबें नहीं पढ़ी हैं।
इसीलिए ऐसी बातें उन्होंने लिख दीं।
उत्बी के अनुसार सोमनाथ मंदिर के पुजारियों ने गजनवी(सन-971-सन 1030) के सामने बहुत सारा सोना रख दिया था।
और, उससे विनती की कि और भी सोना हम आपको दे सकते हैं।किंतु आप मूर्ति को मत तोड़िए।
उस पर गजनवी ने कहा कि ऐसा नहीं हो सकता।
क्योंकि मैं मरने के बाद खुदा के सामने बुत परस्त यानी मूर्ति पूजक के रूप में हाजिर नहीं होना चाहता।
दरअसल पाकिस्तान के मदरसों में आज जो कुछ पढ़ाया जाता है ,उसके अनुसार मूर्ति भंजकों को जन्नत में जगह मिलती है।
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यह और बात है कि आजादी के बाद के भारत के ‘‘एकतरफा सेक्युलर’’ सत्ताधीशों के निदेश पर वामपंथी इतिहासकारों ने हमें यह पढ़ाया कि मध्य युग के हमलावर पैसों के लुटेरे थे।
कुछ अन्य हमलावारों के स्थानीय राजाओं से जो युद्ध हुए,वे वैसे ही थे जैसे किन्हीं दो राजाओें के बीच युद्ध होते रहते हैं।इनमें धर्म कहीं नहीं था।
दूसरी ओर, भाजपा से जुड़े इतिहासकार उत्बी जैसे समकालीनों को आधार बना कर इतिहास बताते हैं।
उत्बी की किताबों -- ‘किताब उल यामिनी’ और ‘तारीख उल यामिनी’ का विवरण आप गुगल पर पढ़ सकते हैं।उन्हें मंगा सकते हैं।और खुले दिमाग से ऐसे विषय पर खुद नतीजा निकाल सकते हैं।
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सुरेंद्र किशोर
19 जनवरी 23
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