सोमवार, 15 जनवरी 2018

आतंक से निपटने का इजरायी तरीका भारत को सीखना ही चाहिए




         
यदि इजरायल ने 234 अरब छापामारों को रिहा कर दिया  होता तो सन् 1972 में 11 इजराइली ओलम्पिक खिलाडि़यों की जान बच जाती।
पर, व्यापक देशहित में इजरायल ने उन आतंकवादियों के सामने झुकना मंजूर नहीं किया जिन्होंने   म्यूनिख ओलम्पिक के दौरान 11 इजराइली खिलाडि़यों को बंधक बना रखा था।
 छापामारों को रिहा करने से इनकार कर देने पर 11 खिलाडि़यों को अरब आतंकवादियों ने मार डाला।उस दौरान  जर्मन पुलिस की कर्रवाई में चार छापामार 
भी मारे गये।तीन पकड़े गये।पर एक भागने में सफल हो गया।
  हां, बाद के वर्षों में इजरायल की खुफिया एजेंसी मोसाद ने उन सारे षड्यंत्रकारी हमलावरों को खोज -खोज कर एक- एक कर मार डाला जो 11 इजराइली खिलाडि़यों की हत्या में शामिल  थे और तत्काल पकड़े जाने के बाद भी बाद में छोड़ दिए गए थे।
वे इजरायल के डर से कई देशों में जा छिपे थे।
मोसाद ने करीब 20 वर्षों में यह टास्क पूरा किया था।हत्यारों को मोसाद ने बारी-बारी से इटली, फ्रांस, ब्रिटेन ,लेबनान,एथेंस और साइप्रस में अपने नाटकीय आपरेशन के जरिए मारा।
बदले का इजरायल का वह बहादुराना कदम भारत जैसे आतंकपीडि़त देश  के लिए एक खास सबक बन सकता है। 
इस घटना के बाद अरब-इजरायल  तनाव और भी बढ़ गया था ।पर इजरायल की जनता ने भी उसकी परवाह नहीं की। आतंकवादियों से निपटने को  लेकर वहां की जनता में  दो तरह की राय नहीं हुआ करती।
  
 5 सितंबर, 1972 की बात है।म्यूनिख में 20 वां ओलम्पिक खेल मेला लगा हुआ था।ब्रिटेन के प्रधान मंत्री एडवर्ड हीथ सहित दुनिया के कई दे’ाों की महत्वपूर्ण हस्तियां वहां उपस्थित थीं।किसी ने सोचा भी नहीं था कि वहां कोई खूनी खेल भी हो जाएगा।
पर , ऐसा ही हुआ।अरब छापामारों ने अपने साथियों की रिहाई के लिए वहीं ताकत का इस्तेमाल ’ाुरू कर दिया। अरब छापामार दस्ता दीवाल फांद कर ओलम्पिक गांव में प्रवे’ा कर गया।उन्होंने मोरचाबंदी करके इजरायली क्वार्टर पर कब्जा कर लिया।यह पुरूष खिलाडि़यों का ठिकाना था।
  दो इजरायली खिलाडि़यों को तो उन लोगों ने मौके पर मार दिया।
कु’ती प्र’िाक्षक मुनिया ग्रिनबर्ग की मृत्यु घटनास्थल पर ही हो गई थी।मुक्केबाज प्र’िाक्षक मो’ाा बिनबर्ग की मृत्यु दो घंटे बाद हुई।
गोलियां चलने के बाद एक इजरायली  खिलाड़ी खिड़की से भागने में सफल हो गया था।
  भारोत्तोलक प्र’िाक्षक तुबिया सोकोल्वस्की ने बाद में बताया कि जब अरब छापामार उनके क्वार्टर में दाखिल हुए तो उनका दरवाजा थोड़ा सा खुला हुआ था।उस खुले दरवाजे से उन्होंने गोलियां चलाईं।मैं इधर अपने कुछ कपड़े लेकर खिड़की से भाग खड़ा हुआ।पड़ोस में तब तक छिपा रहा जब तक प’िचम जर्मनी की पुलिस ने स्थिति को संभाल नहीं लिया। मैंने लोगों की चीख पुकार सुनी थी।
सोेकाल्वस्की के अनुसार नकाबपो’ा छापामारों की संख्या नौ या दस थी।छापामारों ने नौ इजरायली  खिलाडि़यों को बंधक बना लिया।वे 234 अरब छापामारों की इजरायल  से रिहाई की मांग करने लगे।वे चाहते थे कि इन 234 लोगों को सुरक्षित मिस्र पहुंचा दिया जाए।  
 स्वाभाविक ही था कि हमले की खबर से पूरा ओलम्पिक गांव  सनसनी और तनाव से भर उठा।इजरायल ने अपने वि’ेाष दस्ते म्यूनिख भेजने का आॅफर किया।पर जर्मन सरकार ने उसे अस्वीकार कर दिया। 
इस घटना की खबर सुनकर  प’िचम जर्मनी के प्रधान मंत्री बिली ब्रांट खुद बाॅन से म्यूनिख पहुंच गये।
  उन्होंने छापामारों के सामने प्रस्ताव रखे कि   जितना चाहें आप पैसे ले लें ,पर इजरायली  खिलाडि़यों को छोड़ दें।या फिर इजरायलियों की जगह जर्मनों को बंधक रख लें।
लेकिन छापामारों ने शत्र्तें नामंजूर कर दीं।उन्होंने कहा कि जब तक 234 छापामारों को रिहा नहीं किया जाएगा,तब तक इन्हें छोड़ने का प्र’न ही नहीं उठता। जर्मन अधिकारी उनसे आग्रह करते रहे ,पर वे अपनी जिद पर अड़े रहे।इस बीच उन लोगों ने एक और धमकी दे दी।उन्होंने कहा कि यदि एक खास समय सीमा के अंदर  उनकी मांग नहीं मानी जाएगी तो वे हर दो घंटे पर एक  इजरायली  बंधक को मारते जाएंगे।इस बीच अंतरराष्ट्रीय ओलंपिक समिति के अध्यक्ष एवेरी ब्रूंडेज ने ओलम्पिक खेलों को 24 घंटे के लिए स्थगित कर दिया।दूसरी ओर मिस्र के अधिकारियों ने इस घटना पर क्षोभ प्रकट किया और अपने खिलाडि़यों को वापस बुला लिया।इजरायली  प्रधान मंत्री गोल्डा मीर ने कहा कि यह घटना अमानवीय है और इस तरह के माहौल में खेलों को जारी रखना उचित नहीं होगा।अमेरिका के यहूदी खिलाड़ी स्पिट्ज को भी वापस भेज दिया गया।स्पिट्ज ने म्यूनिख मेंें पहले के खेलों में एक साथ सात स्वर्ण पदक जीत लिये थे।
  अरब छापामारों ने यह मांग करनी शुरू कर दी कि उन्हें बंधकों समेत किसी अरब दे’ा में सुरक्षित भेज दिया जाए अन्यथा वे किसी भी  इजरायली  खिलाड़ी को जिंदा नहीं छोड़ेंगे।।याद रहे कि इजरायल  234 अरब छापामारों को छोड़ने को किसी कीमत पर कत्तई तैयार नहीं था।अंततः वे सब ओलम्पिक खेल गांव की हवाई पटटी तक बस से लाये गये।तब तक जर्मन पुलिस उस हवाई पट्टी पर हेलिकाॅप्टर द्वारा पहुंचाई जा चुकी थी।पुलिस घात लगा कर बैठी हुई थी।जर्मन पुलिस ने कार्रवाई शुरू की ।अरब छापामारों ने खुद को घिरा हुआ देख कर सभी इजरायली  बंधकों को  मार डाला।बंधक इजरायली खिलाडि़यों की संख्या नौ थी।चार छापामार भी मारे गये।एक जर्मन पुलिस अफसर  की भी जान चली गई।पर,तीन छापामार पकड़ लिये गये।एक छापामार नजर बचा कर कहीं छिप गया।इजरायल  ने अपने बहुमूल्य खिलाडि़़यों की जान की परवाह नहीं की।वह अरब छापामारों के दबाव में नहीं आया।इजरायल को यह अफसोस जरूर रहा कि प’िचम जर्मन सरकार ने उसके वि’ोष पुलिस दस्ते को म्यूनिख नहीं पहुंचने दिया।उधर अरब छापामारों के प्रवक्ता ने काहिरा में यह कहा कि इजरायल  को मानवता का पाठ पढ़ाने के लिए यह कार्रवाई की गई।
@ 15 जनवरी 2018 को  ‘फस्र्टपोस्ट हिन्दी’ पर 
मेरा यह लेख प्रकाशित@
    


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