रविवार, 7 जनवरी 2018

अदालती फैसलों पर भी नेताओें के बयानों में राजनीतिक सुविधा सर्वोपरि


         
सन्  2013 में पहली बार सजा पाने के बाद लालू प्रसाद ने न्यायाधीश से गुहार की थी कि ‘हुजूर, जेल में हमारी जान को खतरा हो सकता है।जेल में सब रहता हैं माओवादी भी।
आप भगवान के समान हैं।आपके फैसले से कोई शिकायत नहीं है।हम उसका अनादर नहीं करते।’
 याद रहे कि रांची सी.बी.आई. के विशेष न्यायाधीश पी.एन.सिंह 
ने चाइबासा कोषागार से 37 करोड़ 70 लाख रुपए की अवैध निकासी के 17 साल पुराने केस  में लालू प्रसाद और डा.जगन्नाथ मिश्र सहित 45 आरोपितों को सजा दी थी।तब लालू प्रसाद को पांच साल की जेल की सजा और 25 लाख रुपए का जुर्माना लगाया था।
  अदालत के निर्णय पर लालू प्रसाद के वकील ने तब कहा  था कि ‘हमारे मुवक्किल को  यह आशंका थी कि जदयू सरकार के एक मंत्री से रिश्तेदारी होने के कारण सी.बी.आई. के न्यायाधीश लालू के प्रति पूर्वाग्रह के शिकार हैं।’
 उस केस में लालू प्रसाद को बाद में रांची हाईकोर्ट से जमानत मिल गयी थी।फिर भी वे तब दो माह तक जेल में रहे।दो माह तक रांची जेल में वे ‘ठीक- ठाक’ ही ढंग से रहे क्योंकि तब झारखंड में झारखंड मुक्ति मोर्चा की सरकार थी।पर झारखंड में अब राजनीतिक स्थिति बदली हुई है और भाजपा की रघुवर सरकार जेल मैनुअल का पालन कर रही है। 
  सन 2013 में भी लालू को सजा मिलने पर अधिकतर नेताओं ने अपनी राजनीतिक लाइन के अनुसार ही बयान दिए थे।उनके लिए बाकी बातें बेमतलब थीं।अब भी है।
पश्चिम बंगाल की मुख्य मंत्री ममता बनर्जी ने तब कहा था कि ‘लालच किसी के भविष्य को बर्बाद कर सकता है।इसके चलते सी.आई.अदालत ने लालू जी को दोषी करार दिया।उन्हें जेल भी जाना पड़ा।’
  पूर्व मुख्य मंत्री राबड़ी देवी ने तब कहा था कि ‘राजनीतिक साजिश के शिकार हुए हैं।पर वे हीरो हैं और हीरो बने रहेंगे।’
मौजूदा भाजपा सांसद राम कृपाल यादव उन दिनों राजद के प्रधान महा सचिव थे।उन्होंने तब कहा था कि ‘लालू जी को साजिश के तहत फंसाया गया है।’
  मौजूदा केंद्रीय मंत्री राम विलास पासवान तब राजनीतिक तौर पर लालू प्रसाद के साथ थे।पासवान ने तब कहा कि हम राजद के साथ हैं।हमारे दुःख में लालू जी ने साथ दिया था और हम उनके दुख में साथ हैं।
   राजद नेता रघुवंश प्रसाद सिंह ने 30 सितंबर 2013 को कहा था कि ‘ इस फैसले से हमें झटका लगा है।लेकिन हम विचलित नहीं हैं।अब पार्टी का हर कार्यकत्र्ता लालू बन कर लड़ेगा और 2014 के लोक सभा चुनाव में हम 40 की 40 सीटें जीतेंगे।’
बिहार कांग्रेस के मीडिया प्रभारी प्रेमचंद्र मिश्र ने तब कहा था कि ‘विशेष अदालत का निर्णय  नेताओं और अधिकारियों के लिए सबक है।’
जदयू के तक्कालीन राष्ट्रीय अध्यक्ष शरद यादव ने कहा था कि ‘चारा घोटाले में लालू प्रसाद सहित अन्य आरोपियों को दोषी ठहराना न्याय की जीत है।इस न्यायादेश से भ्रष्टाचार मंें लिप्त राजनीतिज्ञों को सीख लेनी चाहिए।’
पर जदयू के तत्कालीन राज्य सभा सदस्य शिवानंद तिवारी ने लीक से हट कर तब भी यही कहा था कि ‘लालू को सजा का मतलब यह नहीं कि देश से भ्रष्टाचार का खात्मा हो जाएगा।
आजादी के बाद से ही देश मेंं भ्रष्टाचार रहा है।देश की राजनीति कभी पाक -साफ नहीं रही।’
@ 7 जनवरी 2018 के प्रभात खबर के रांची संस्करण में प्रकाशित@

  

  
  

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